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हाजीपुर में पत्रकारों पर नोटिस और FIR: चिराग पासवान ने बताया गलत परंपरा


वैशाली जिले में हाल के दिनों में पत्रकारों के खिलाफ प्रशासन और पुलिस द्वारा नोटिस और FIR जारी करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यह एक नई परंपरा की शुरुआत मानी जा रही है, जिससे पत्रकारों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर के सांसद चिराग पासवान ने आपत्ति जताई है, इसे गलत और पत्रकारों की आवाज को दबाने का प्रयास बताया है।

पिछले 18 महीनों में कई टीवी चैनल और अखबारों के पत्रकारों के खिलाफ खबरें दिखाने के बाद नोटिस और FIR की कार्रवाई की गई है। कई पत्रकारों को जेल भी भेजा गया है, जिससे पत्रकारों के बीच आक्रोश और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। प्रशासन की ओर से लगातार इस प्रकार की कार्रवाईयों के कारण यह धारणा बन रही है कि पत्रकारों की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

वैशाली प्रेस क्लब के अध्यक्ष कौशल किशोर पाठक ने इस गंभीर मुद्दे पर हाजीपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से मुलाकात की। पटना स्थित आवास पर हुई इस मुलाकात में पत्रकारों पर हो रही कार्रवाई की जानकारी दी गई। चिराग पासवान ने वैशाली जिले के एसपी हरकिशोर राय से फोन पर बात की और पत्रकारों पर नोटिस और FIR की बढ़ती घटनाओं को गलत ठहराया। उन्होंने एसपी से कहा कि पत्रकारों की आवाज को दबाने की यह परंपरा गलत है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

चिराग पासवान ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर पत्रकारों पर इसी तरह दबाव बनाया जाता रहा तो वह इस मुद्दे को उच्च स्तर तक ले जाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और उचित निर्णय लिया जाना चाहिए। पासवान ने पत्रकारों के खिलाफ अब तक दर्ज सभी मामलों का विवरण लिया और आश्वासन दिया कि वह अपने स्तर से जांच करेंगे और न्याय दिलाने का हरसंभव प्रयास करेंगे।

वैशाली प्रेस क्लब के अध्यक्ष कौशल किशोर पाठक ने पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए तत्परता से काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की आवाज को कोई दबा नहीं सकता और वह पत्रकारों के हित में हरसंभव कदम उठाएंगे। वैशाली प्रेस क्लब की टीम पत्रकारों के साथ मजबूती से खड़ी है और निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए हर तरह का समर्थन प्रदान करेगी।

यह घटना पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्रशासन और पत्रकारों के बीच बढ़ती तनातनी को देखते हुए यह देखना होगा कि आने वाले समय में पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

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