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अमेरिका और चीन के बीच मध्यस्थ बनने की महत्त्वाकांक्षा दिखा रहे पीएम इमरान क्या होगा भारत को इससे नुक्सान ?

चीन से दोस्ती और मजबूत करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अमेरिका और चीन के बीच मध्यस्थ बनने की महत्त्वाकांक्षा दिखा रहे हैं। लेकिन उनकी ये मंशा पूरी होगी, विश्लेषकों को इसमें संदेह है।

बल्कि ज्यादातर रणनीतिक विशेषज्ञों की राय यही है कि चीन के खेमे में पूरी तरह शामिल होने का परिणाम पश्चिमी खेमे के साथ पाकिस्तान की दूरी बढ़ने के रूप में सामने आएगा।

चार दिन की चीन यात्रा से लौटे इमरान खान का एक इंटरव्यू चीन के टीवी चैनल सीजीटीएन पर मंगलवार को दिखाया गया। इसमें खान ने कहा कि पाकिस्तान फिर से वही भूमिका निभाना चाहता है, जो उसने 1970 के दशक में निभाई थी। उन्होंने दावा किया कि तब अमेरिका और चीन के बीच करीबी संबंध बनने के पीछे पाकिस्तान का अहम रोल था।

इमरान ने दावा किया कि 1971 में अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर की एतिहासिक चीन यात्रा पाकिस्तान की मदद से ही संभव हो सकी थी। उन्होंने कहा- ‘हेनरी किसिंजर की मशहूर यात्रा पाकिस्तान ने आयोजित की थी। हम वैसी ही भूमिका फिर निभाने की आशा करते हैं।’ किसिंजर की उस यात्रा के दौरान अमेरिका और कम्युनिस्ट चीन के बीच पहला संवाद बना था।

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