प्रबुद्ध नागरिकों से संवाद में बोले प्रशांत किशोर बच्चों का चेहरा देखकर वोट देते तो बिहार को पलायन का दर्द नहीं झेलना पड़ता


रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

आरा:बिहार की राजनीतिक ज़मीन को बदलने के इरादे से जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने बुधवार की देर शाम आरा शहर में प्रबुद्ध नागरिकों से संवाद कार्यक्रम में शिरकत की। स्थानीय ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, अधिवक्ता, डॉक्टर, शिक्षक और समाजसेवी शामिल हुए। जन सुराज पार्टी के जिला अध्यक्ष अभय सिंह की अध्यक्षता और महासचिव चंद्रभानु गुप्ता के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने बिहार के विकास, शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रशांत किशोर ने नागरिकों से सीधे सवाल किया — “क्या आपने कभी अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट डाला है? अगर डाला होता, तो आज बिहार को पलायन का यह अभिशाप नहीं झेलना पड़ता।”
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग भावनात्मक और जातिगत मुद्दों पर वोट देते रहे, लेकिन विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे बुनियादी सवालों को नजरअंदाज किया गया। प्रशांत किशोर ने कहा, “आपने लालू जी को जाति के आधार पर वोट दिया। इससे आपको क्या मिला यह आप जानें, लेकिन उनके परिवार को लाभ जरूर मिला — यह पूरा बिहार जानता है। आपने मोदी जी को राम मंदिर और मुफ्त राशन के लिए वोट दिया — वह आपको मिला। नीतीश जी को आपने सड़क, गली और नाली के नाम पर वोट दिया — वह भी मिला। लेकिन क्या कभी शिक्षा, नौकरी या अपने बच्चों के भविष्य के सवाल पर वोट डाला?”

बिहार का पलायन एक सामाजिक त्रासदी
प्रशांत किशोर ने बिहार में पलायन की स्थिति को एक ‘सामाजिक त्रासदी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि पलायन अब केवल आर्थिक समस्या नहीं रह गई है, यह अब सामाजिक ताने-बाने को भी तोड़ रहा है। “कम पढ़े-लिखे और तकनीकी ज्ञान से वंचित नौजवान बिहार से बाहर सिर्फ दस-बारह हजार रुपये कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। वहीं जो बच्चे तकनीकी और उच्च शिक्षा पाए हैं, वे विदेश या देश के विकसित प्रांतों में जीवन बसा चुके हैं।”
उन्होंने चिंता जताई कि इस प्रक्रिया में माता-पिता और परिवारों से बच्चों का जुड़ाव खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा, “गरीब का बेटा भले थककर या बुढ़ापे में घर लौट आए, लेकिन जो बच्चे दिल्ली, मुंबई या विदेशों में बस गए हैं, वे क्या अपने बूढ़े मां-बाप को देख पाएंगे?”

जनता के सवालों का दिया जवाब
कार्यक्रम में उपस्थित प्रबुद्ध नागरिकों में से कृष्ण मुरारी गुप्ता, हरिश्चंद्र साह, साहित्यकार अजय कुमार, मधुलिका सिन्हा, जन्मेजय पांडे, ललित कुमार, डॉ. गुलाब सिंह और अधिवक्ता अजीत रंजन समेत कई लोगों ने प्रशांत किशोर से सवाल किए। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में सुधार, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर जवाब मांगे। प्रशांत किशोर ने हर सवाल का जवाब तथ्यों और जमीन से जुड़े अनुभवों के आधार पर दिया।

जन सुराज का उद्देश्य सिस्टम बदलना, सिर्फ सत्ता नहीं
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जन सुराज पार्टी का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि बिहार में सिस्टम को बदलना है। उन्होंने कहा, “हम कोई वादा नहीं कर रहे कि हम जीतते ही बिहार स्वर्ग बन जाएगा। लेकिन हम यह जरूर कह रहे हैं कि जनता के साथ मिलकर एक नया सिस्टम खड़ा करेंगे, जिसमें जनता की भागीदारी होगी, जवाबदेही होगी, और बच्चों का भविष्य केंद्र में होगा।”

कार्यक्रम में दिखी जागरूकता और उम्मीद
रामलीला मैदान में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में आए लोगों में बड़ी संख्या युवाओं और महिलाओं की थी। यह बताता है कि बिहार की जनता अब सिर्फ भाषण नहीं, संवाद चाहती है। कार्यक्रम के बाद कई नागरिकों ने कहा कि प्रशांत किशोर की बातों ने सोचने को मजबूर किया है — खासकर बच्चों के भविष्य को लेकर वोटिंग के नजरिए पर।

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