सलेमपुर बधार में हरिण का शव मिलने से मचा हड़कंप, वन्यजीव संरक्षण पर उठे सवाल


रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

भोजपुर जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सलेमपुर बधार में एक हिरण का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है। शव की स्थिति अत्यंत भयावह है – उसकी आंखें नोच ली गई हैं और पिछले हिस्से में गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय ग्रामीणों को झकझोर दिया है, बल्कि प्रशासन और वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

हिरण की रहस्यमयी मौत, अपराध की आशंका
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। भोजपुर के पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत कराया गया, जिन्होंने त्वरित कार्रवाई का आश्वासन देते हुए वन विभाग को सूचित करने की बात कही है। हालांकि, खबर लिखे जाने तक वन विभाग की कोई टीम मौके पर नहीं पहुंची थी, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हिरण की मौत स्वाभाविक नहीं लगती। शव की स्थिति देखकर शिकार या किसी हिंसक हमले की आशंका जताई जा रही है। ग्रामीणों का मानना है कि इलाके में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां हैं।

सलेमपुर बधार बना वन्यजीवों का नया ठिकाना
ग्रामीणों के अनुसार, सलेमपुर बधार क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हिरणों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यहां सींगों वाले और बिना सींग वाले दोनों प्रकार के हिरण देखे जा रहे हैं। ग्रामीणों का अनुमान है कि इलाके में इनकी संख्या एक हजार तक पहुंच चुकी है। यह क्षेत्र अब प्राकृतिक रूप से एक वन्यजीव आश्रय स्थल में तब्दील हो चुका है।

संरक्षण और सुविधा की भारी कमी
हालांकि हिरणों की बढ़ती संख्या वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में संरक्षण और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। न तो यहां पानी की सुविधा है, न ही चारे की उचित व्यवस्था। गर्मियों के मौसम में पानी की भारी किल्लत होती है, जिससे हिरणों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। इससे वे शिकारियों या अन्य खतरों के शिकार बन सकते हैं।

मनरेगा के तहत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग
ग्रामीणों और समाजसेवियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत सलेमपुर बधार में वन्यजीवों के लिए प्याऊ, तालाब, चारा स्थल और चारों ओर घेराबंदी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही, वन रक्षकों की नियमित तैनाती भी की जाए ताकि किसी भी अनहोनी को समय रहते रोका जा सके।

वन विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल
इस घटना के बाद वन विभाग की भूमिका भी कटघरे में है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार वन्यजीवों की मौजूदगी और सुरक्षा को लेकर अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह लापरवाही अब वन्यजीवों की जान पर भारी पड़ रही है।

विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्राकृतिक क्षेत्रों में वन्यजीवों की संख्या बढ़ रही है, तो यह जैव विविधता के लिए शुभ संकेत है। लेकिन यदि समय रहते उनके लिए सुरक्षित पर्यावरण नहीं बनाया गया, तो यह स्थिति उनके अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकती है। विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र को “संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्र” घोषित करने की मांग की है, जिससे वहां संरक्षण से जुड़े प्रावधान लागू किए जा सकें।

Related Articles

Back to top button