रामपुर खाद्य वस्तुओं में मिलावट रोकने के लिए छापेमारी, कई दुकानों से सैंपल लिए गए

रामपुर: खाद्य वस्तुओं में मिलावट खोरी को रोकने के लिए खाद्य विभाग ने मंगलवार को मसवासी नगर में छापेमारी की। इस अभियान की अगुवाई सहायक खाद्य आयुक्त सुनील कुमार शर्मा ने की, जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम भी शामिल थी। छापेमारी के दौरान विभाग ने बेसन और रसगुल्ले के छेने के सैंपल लिए और जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे।

खाद्य विभाग की छापेमारी से दुकानदारों में हड़कंप मच गया, और कई दुकानदार अपनी दुकानों के शटर गिराकर भागने में सफल रहे। इस छापेमारी में मसवासी के महाराजपुर क्षेत्र स्थित शफी स्वीट हाउस से रसगुल्ले के छेने का नमूना लिया गया, जबकि मोहम्मद यूसुफ की कन्फेक्शनरी से बेसन और सरसों के तेल के नमूने भी लिए गए। विभाग ने यह कदम खाद्य वस्तुओं में मिलावट को रोकने और गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करने के लिए उठाया है।

सहायक खाद्य आयुक्त सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि सभी नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा गया है और जांच के परिणाम आने के बाद संबंधित दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की मिलावट करने वाले व्यापारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, खाद्य विभाग की टीम की इस कार्रवाई के बाद बाजार में कई घंटे तक दुकानों के शटर गिराए जाने से व्यापार ठप रहा, जिससे दुकानदारों में असमंजस का माहौल बन गया। इस बीच, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्रवण कुमार ने बताया कि नमूनों की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


पुरानी दर पर उर्वरक बेचने का मामला, किसानों ने जिलाधिकारी से की शिकायत

मानपुर स्थित किसान सेवा सहकारी समिति पर उर्वरक के मूल्य को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि समिति पर एनपीके उर्वरक को पुरानी दर पर बेचा जा रहा है, जबकि वह नई दरों पर बेचा जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर किसानों ने जिला अधिकारी से शिकायत की है और मामले की जांच की मांग की है।

किसानों का कहना है कि सरकारी समिति पर एनपीके उर्वरक के बोरे पुरानी रेट पर लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें ये उर्वरक नई दरों पर बेचा जा रहा है। इस उर्वरक के बोरे की कीमत ₹17000 तक बताई जा रही है, जबकि असल में इसका मूल्य ₹1470 होना चाहिए। किसानों ने यह भी आरोप लगाया है कि इसके साथ अतिरिक्त दवाइयां भी भेजी जा रही हैं, जिससे उर्वरक का वास्तविक मूल्य और भी बढ़ जाता है।

किसानों का कहना है कि जब उन्होंने इस मामले में प्रबंध निदेशक और अन्य कर्मचारियों से शिकायत की, तो उन्होंने अभद्र व्यवहार किया और उर्वरक की उपलब्धता के बारे में बहाना बनाया। किसानों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

वहीं, समिति के प्रबंध निदेशक आसिफ खान ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि उर्वरक उचित दर पर बेचा जा रहा है और इसमें कोई धांधली नहीं की जा रही है। उन्होंने इसे एक गलतफहमी करार दिया और कहा कि समिती की ओर से सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।

किसानों के आक्रोश और शिकायतों के बाद अब यह मामला प्रशासन की जांच के दायरे में है, और जिलाधिकारी से इस पर शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।


इन दोनों घटनाओं ने रामपुर में मिलावट और व्यापारिक शोषण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता को और अधिक उजागर किया है। खाद्य विभाग की सख्त कार्रवाई और किसानों की शिकायतें प्रशासन के लिए एक संकेत हैं कि इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।

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