जिलाधिकारी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के लंबित वादों की समीक्षा बैठक सम्पन्न

रिपोर्ट आसिफ अंसारी
मऊ : जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की विभिन्न धाराओं में लंबित वादों की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में समस्त उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं संबंधित न्यायालयों के पेशकार शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य लंबित मामलों के शीघ्र एवं प्रभावी निस्तारण को सुनिश्चित करना था।
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने तहसीलवार और न्यायालयवार लंबित वादों की गहन समीक्षा की। विशेष रूप से धारा 24 में लंबित मामलों पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि इन मामलों में पारित आदेशों का तत्काल अनुपालन कराया जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस कार्य में कोताही बरतने पर संबंधित कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि रबी फसल कटाई के बाद अब अनुपालन में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने क्षेत्र के लंबित वादों का गहन अध्ययन करें और प्राथमिकता के आधार पर उनका निस्तारण सुनिश्चित करें।
धारा 34 और 35 के तहत लंबित वादों की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने पेशकारों को प्रतिदिन की रिपोर्ट तैयार कर पीठासीन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन मामलों में कोई ठोस आपत्ति नहीं है, उनका निस्तारण तत्काल किया जाए।
तहसील मोहम्मदाबाद गोहना में सबसे अधिक वाद धारा 34 में नायब तहसीलदार कोर्ट और तहसीलदार कोर्ट में लंबित पाए गए। इस पर विशेष ध्यान देने और नियमित रूप से समीक्षा करने के निर्देश दिए गए। धारा 34 और 35 के अंतर्गत यहां कुल 971 वाद लंबित हैं, जिनका शीघ्र निस्तारण कराने पर बल दिया गया।
धारा 116 के अंतर्गत पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित कुल 13 वादों को भी जल्द निपटाने के निर्देश दिए गए। इसी प्रकार, धारा 67 के तीन से पांच वर्ष पुराने वादों को प्राथमिकता पर निपटाने की आवश्यकता बताई गई।
जिलाधिकारी ने समस्त पीठासीन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने न्यायालय में प्रस्तुत सभी पत्रावलियों का समय से पंजीकरण कराएं तथा आदेश पारित करने में अनावश्यक देरी न करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी परिवार के एक सदस्य को जाति प्रमाण पत्र जारी हो गया है, तो परिवार के अन्य सदस्यों को भी उसी आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए।
बैठक के दौरान अनुसूचित जाति एवं जनजातियों द्वारा जमीन विक्रय हेतु दिए गए आवेदनों को बिना ठोस कारण अस्वीकार किए जाने पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने सभी तहसीलदारों को सचेत किया कि यदि आगे इस प्रकार की शिकायत मिली तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तहसील मधुबन और तहसील घोसी में लंबित मामलों की अधिक संख्या पर जिलाधिकारी ने विशेष चिंता जताई और वहां के उप जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे तत्काल पेंडेंसी को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाएं।
अंत में, जिलाधिकारी ने सभी न्यायालयों में दाखिल खारिज की कार्यवाही को शीघ्र निपटाने, वादों से संबंधित आख्या समय से प्रस्तुत करने और नोटिस की तामिला जल्द कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने न्यायालय में लंबित वादों की सूची बनाकर नियमित समीक्षा करें और तत्परता से उनका निस्तारण सुनिश्चित करें।
यह बैठक राजस्व मामलों की गंभीरता और न्यायिक प्रक्रिया की गति बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई, जिसमें शासन की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट और सख्त निर्देश दिए गए।