गांवों में भी लगे हाई मास्क लाइट: रोशनी से रौशन हो ग्रामीण जीवन

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद आरा बिहार
आज जब देश तेज़ी से डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है और हर क्षेत्र में विकास की बातें हो रही हैं, तब यह भी ज़रूरी है कि विकास की रोशनी सिर्फ शहरों तक सीमित न रह जाए, बल्कि गांव-गांव तक पहुंचे। बिहार जैसे राज्य में जहां 80 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में रहती है, वहां बुनियादी सुविधाओं में रोशनी की व्यवस्था, विशेष रूप से हाई मास्क लाइट की आवश्यकता बहुत ज़्यादा है।
क्या है हाई मास्क लाइट?
हाई मास्क लाइट एक ऊंचे खंभे पर लगाई जाने वाली शक्तिशाली लाइट होती है जो एक बड़े क्षेत्र को रोशन करती है। ये लाइट मुख्य रूप से चौक-चौराहों, बाजारों, बस स्टैंडों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाई जाती है ताकि रात के समय अंधेरे से मुक्ति मिल सके।
गांवों की स्थिति: रोशनी से वंचित जनजीव
शहरी क्षेत्रों में तो हाई मास्क लाइट और स्ट्रीट लाइट आम बात हो गई है, लेकिन अधिकांश गांव आज भी रात होते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। चौक-चौराहे, स्कूल, पंचायत भवन, मंदिर, बाजार, खेल का मैदान, यहाँ तक कि कब्रिस्तान एवं श्मशान घाट जैसे ज़रूरी स्थल भी पर्याप्त रोशनी से वंचित हैं।
रात में इन इलाकों से गुजरना मुश्किल होता है। महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और छात्र-छात्राओं को सबसे ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी तत्व सक्रिय हो जाते हैं, जिससे चोरी, छेड़खानी जैसी घटनाएं बढ़ती हैं।
हाई मास्क लाइट के संभावित लाभ
1. अपराध में कमी: अंधेरा अपराधियों का हथियार होता है। चौक-चौराहों पर रोशनी से उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
2. दुर्घटनाओं से बचाव: साफ रोशनी होने से वाहन चालकों और राहगीरों को रास्ता स्पष्ट दिखाई देगा जिससे सड़क दुर्घटनाएं कम होंगी।
3. सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा: रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामूहिक बैठकों, त्योहारों का आयोजन भी रोशनी के कारण आसानी से संभव होगा।
4. महिलाओं की सुरक्षा: महिलाएं रात के समय भी निडर होकर बाजार या चिकित्सालय जा सकेंगी।
5. ग्रामीण सौंदर्यीकरण और आत्मविश्वास: गांवों की पहचान और छवि सुधरेगी। यह आत्मसम्मान का प्रतीक बनेगा।
सरकार से अपेक्षाएं और सुझाव
1. पंचायत स्तर पर सर्वे: राज्य सरकार को चाहिए कि प्रत्येक पंचायत में चौक-चौराहों, बाजारों, सार्वजनिक स्थलों की पहचान कर वहां हाई मास्क लाइट की आवश्यकता का सर्वे कराए।
2. विशेष योजना की शुरुआत: एक “ग्रामीण हाई मास्क लाइट योजना” बनाई जाए, जिसमें जिला योजना, सांसद निधि, विधायक निधि और CSR फंड का उपयोग हो।
3. स्थानीय रोजगार: लाइट की स्थापना, मेंटेनेंस और संचालन के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार भी दिया जा सकता है।
4. सौर ऊर्जा का प्रयोग: बिजली संकट वाले इलाकों में सोलर हाई मास्क लाइट लगाई जा सकती है, जिससे पर्यावरण संरक्षण भी होगा।
जनभागीदारी भी ज़रूरी
सरकार के साथ-साथ समाजसेवी संस्थाओं, ग्राम प्रधानों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम जनता को भी जागरूक होकर इस दिशा में पहल करनी चाहिए। लोग अपने गांव के लिए जनप्रतिनिधियों से ज्ञापन देकर मांग करें ताकि यह मुद्दा प्राथमिकता में शामिल हो।