Saturday , April 27 2024
Breaking News

इटावा यूक्रेन से लौटे जुड़वां बेटों को देख माता पिता अपना दुख दर्द भूले*

*यूक्रेन से लौटे जुड़वां बेटों को देख माता पिता अपना दुख दर्द भूले*

जसवंतनगर/इटावा। युद्ध की विभीषिका के बीच यूक्रेन से लौटे जुड़वां बेटों को देख माता पिता अपना दुख दर्द भूल गए किन्तु एमबीबीएस कैसे पूरी होगी इस बात की चिंता उन्हें सताए जा रही है। जुड़वां भाई एमबीबीएस छात्रों का यहां दोपहर में घर वापसी होने पर जोरदार स्वागत किया गया।
नगर के यादव नगर मोहल्ला निवासी शिक्षक अमरपाल सिंह यादव के जुड़वां बेटे यूक्रेन में विन्नीट्सिया मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस में थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के दौरान बने खौफनाक हालात से जूझते हुए यहां फ्लाइट से वतन वापस लौटने के बाद दिल्ली से नॉर्थ ईस्ट ट्रेन द्वारा इटावा रेलवे स्टेशन पर करीब 12 बजे पहुंचे तो पिता व बहिन ने रिसीव किया। नगर में जब उनकी वापसी हुई तो फूल मालाओं ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत करते हुए घर में प्रवेश कराया गया। जुड़वां भाइयों की मां गीता देवी यादव बहन तनु यादव, चाचा कुशल पाल यादव, चाची सुनीता यादव, रामपाल, रेखा, उर्मिला, श्वेता, दीक्षा, परी समेत परिजन रिश्तेदार व मोहल्ले के लोगों ने उनका मुंह मीठा कराया। इस दौरान पूरे घर ही नहीं मोहल्ले में भी खुशनुमा माहौल था। नगर के तमाम प्रतिष्ठित लोगों ने पहुंचकर दोनों को शुभकामनाएं दी हैं।
अमित यादव ने बताया कि वे दोनों भाई यूक्रेन में 700 किलोमीटर की दूरी वाला 12 घंटे का सफर ट्रेन व बस से तय करते हुए रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे थे जहां करीब 18 घंटे जैसे तैसे गुजरे। करीब 5 किलोमीटर की दूरी हिमपात के दौरान भी पैदल तय करनी पड़ी थी। वहां के कुछ एनजीओ वॉलिंटियर काफी मदद कर रहे थे। जब तक बुखारेस्ट रोमानिया से दिल्ली वापस नहीं आ गए तब तक वहां रूस द्वारा युद्ध के दौरान दागी गई मिसाइलों की आवाज व धरती के कंपन को महसूस करते रहे।
पिता अमरपाल सिंह यादव ने कहा कि जैसे ही उन्हें रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की जानकारी हुई तो उन्होंने दिल्ली में सिविल की तैयारी कर रही बेटी तनु यादव से बात कर अपने जुड़वां बेटों के लिए फ्लाइट बुक कराई जिसमें 27 तारीख को 2 सीटें बुक थीं। लेकिन युद्ध के दौरान बने हालातों के कारण फ्लाइट निरस्त कर दी गई थी। इतने दिन बड़े संघर्ष में बीते। अब बेटों की एमबीबीएस की 3 साल पूरी हो रही हैं आगे की पढ़ाई कैसे होगी भविष्य को लेकर चिंता है।