पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की सर्विस रोड बनी ओवरलोड ट्रकों का सुरक्षित रास्ता, प्रशासन बना मूकदर्शक

Report By : आसिफ़ अंसारी
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास की रीढ़ बताया था, अब उसी एक्सप्रेसवे की सर्विस रोड ट्रांसपोर्ट माफिया के लिए ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही का सुरक्षित गलियारा बन गई है। बलिया, मऊ, लाटूडी, फिफना और करीमुद्दीनपुर रूट पर भारी वाहन अब नियमों को ताक पर रखकर सर्विस रोड से बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। यह स्थिति न सिर्फ सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है, बल्कि स्थानीय जनता की जान-माल की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न लगा रही है।
एक्सप्रेसवे के किनारे बनी सर्विस रोड का उद्देश्य आपात स्थिति में वैकल्पिक मार्ग देना था, लेकिन वर्तमान में यह पूरी तरह से ट्रकों की अवैध आवाजाही का केंद्र बन गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब कुछ अधिकारियों की मिलीभगत और मौन सहमति से हो रहा है। ट्रक बिना किसी रोक-टोक के, ओवरलोड माल के साथ इन सड़कों से गुजरते हैं। चेकिंग का कोई नामोनिशान नहीं है, और न ही कोई कार्यवाही होती है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट माफिया बेखौफ होकर रात-दिन माल की ढुलाई कर रहा है।
ओवरलोड वाहनों के कारण सर्विस रोड की हालत तेजी से खराब हो रही है। कई जगहों पर गड्ढे बन चुके हैं, जिससे दोपहिया और हल्के वाहन चालकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, रात के समय बिना लाइट और सिग्नल के दौड़ती भारी गाड़ियां किसी बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एक्सप्रेसवे के आसपास रहने वालों के लिए यह एक रोज़ का संकट बन चुका है।
यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को विकास का प्रमुख मार्ग बता रही है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक इस परियोजना को पूर्वांचल की प्रगति का प्रतीक मानते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। जिस एक्सप्रेसवे के जरिये यूपी को तेज़ रफ्तार विकास की ओर ले जाने की बात की जा रही है, वहीं उसके समानांतर बनी सर्विस रोड पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन नतीजा शून्य रहा। न तो कोई चेकिंग प्वाइंट बनाया गया और न ही ओवरलोड वाहनों पर कोई पाबंदी लगी। अब लोगों को यह लगने लगा है कि या तो अधिकारी जानबूझ कर आंख मूंदे हुए हैं या फिर वे खुद इस अवैध गतिविधि में साझेदार हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पूर्वांचल एक्सप्रेसवे सिर्फ एक दिखावटी विकास परियोजना बनकर रह जाएगी? क्या सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान देगा, या ट्रांसपोर्ट माफिया यूं ही बेखौफ होकर नियमों का उल्लंघन करता रहेगा? जवाब भविष्य के गर्भ में है, लेकिन फिलहाल पूर्वांचल के लोगों की ज़िंदगी और सड़कें, दोनों खतरे में हैं।