बड़हरा में गूंजा बदलाव का शंखनाद: रणविजय सिंह (राजापुर वाले) ने मां आयरन देवी की पूजा के साथ शुरू की जनसेवा यात्रा

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद आरा, बिहार
भोजपुर: बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरती बड़हरा आज एक नए युग की दस्तक से गूंज उठी। जब पूरे क्षेत्र में चुनावी चर्चा की हलचल धीमे-धीमे शुरू हो रही है, वहीं राजापुर गांव के निवासी रणविजय सिंह (राजापुर वाले) ने पूरी ऊर्जा, श्रद्धा और विकास के संकल्प के साथ एक ऐतिहासिक शुरुआत की। इस शुरुआत का केंद्र बना – माँ आयरन देवी का मंदिर, जहाँ उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा का आरंभ माँ के पावन चरणों में शीश झुकाकर और जनता के कल्याण का संकल्प लेकर किया।
धार्मिक श्रद्धा से राजनीतिक संकल्प तक: एक विशिष्ट शुरुआत
रणविजय सिंह ने सुबह-सुबह पूरे विधि-विधान से माँ आयरन देवी की पूजा-अर्चना की। मंदिर परिसर में भक्ति, श्रद्धा और आस्था की गूंज थी। समर्थकों ने नारों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। पूजा के दौरान उन्होंने देवी से बड़हरा क्षेत्र के सभी नागरिकों के लिए सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना की।
रणविजय सिंह ने कहा,
“माँ आयरन देवी मेरी कुलदेवी हैं और बड़हरा की आत्मा हैं। उनके आशीर्वाद से ही मैं इस संकल्प की शुरुआत कर रहा हूं। मेरी राजनीति किसी पद या व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि सेवा और समाधान के लिए है।”
हजारों की भीड़, जनसमर्थन और जनभावना की झलक
पूजा-अर्चना के बाद जनसभा का आयोजन किया गया जिसमें क्षेत्र भर से हजारों की संख्या में लोग उमड़े। सभा स्थल जनसैलाब में तब्दील हो चुका था। खास बात यह रही कि भारी संख्या में महिलाएं, किसान, नौजवान और बुजुर्ग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने रणविजय सिंह को फूल-मालाओं से स्वागत किया और अपनी समस्याओं को खुलकर रखा। लोगों ने बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, शिक्षा की गिरती स्थिति, सड़कों की दुर्दशा, और कृषि संकट जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। रणविजय सिंह ने हर मुद्दे को गंभीरता से सुना और कहा कि यह अभियान केवल भाषणों का नहीं, बल्कि समाधान का है।
“मैं जात-पात या धर्म की राजनीति नहीं करता। मेरे लिए सब एक समान हैं। मुझे जो प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है, वही मेरी असली ताकत है। मेरा लक्ष्य है—हर हाथ को काम, हर घर में सम्मान और हर गांव में विकास।”
स्वास्थ्य शिविर और सेवा का वादा
इसी मंच से रणविजय सिंह ने अपने पहले जनकल्याणकारी कार्यक्रम – निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर अभियान – की घोषणा की। उन्होंने कहा कि बड़हरा क्षेत्र के हर गांव, टोले और कस्बे में शिविर लगाकर अनुभवी डॉक्टरों की टीम के माध्यम से मुफ्त इलाज, दवाएं, जांच और स्वास्थ्य परामर्श मुहैया कराया जाएगा। यह सेवा सभी वर्गों के लिए होगी – विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी।
“सेवा का मतलब सिर्फ भाषण नहीं, ज़मीन पर काम होना चाहिए। यह स्वास्थ्य शिविर अभियान पहला कदम है, बहुत कुछ करना बाकी है।”
गांव की मिट्टी से जुड़ा, जनता के बीच रहने वाला नेतृत्व
रणविजय सिंह का पूरा भाषण और आचरण इस बात का संकेत दे रहा था कि वे “नेताओं” वाली दूरी नहीं, बल्कि “जनसेवकों” वाली नजदीकी को महत्व देते हैं। वे स्वयं लोगों के बीच बैठे, बुजुर्गों के चरण छुए, और युवाओं के साथ संवाद किया।
कार्यक्रम में आए एक बुजुर्ग ने कहा:
“ऐसे नेता की जरूरत है जो गांव की भाषा बोलता हो, गांव की मिट्टी से निकला हो, और गांव की पीड़ा को समझता हो। रणविजय वही चेहरा है।”
राजनीति में ईमानदारी, स्थानीयता और पारदर्शिता का संकल्प
रणविजय सिंह की राजनीति तीन मूल स्तंभों पर आधारित है:
- ईमानदारी – जनता के प्रति सच्ची निष्ठा
- स्थानीयता – बड़हरा के हर गांव, हर समस्या को समझने की आत्मीयता
- पारदर्शिता – हर योजना, हर पैसे का जनता को हिसाब देने की प्रतिबद्धता
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए राजनीति कोई धंधा नहीं, बल्कि सेवा की जिम्मेदारी है।
“हम वादों की राजनीति नहीं करते, काम की राजनीति करते हैं। बड़हरा को किसी ‘बाहरी’ या ‘धनबल’ से नहीं, ‘मनबल’ और ‘जनबल’ से नेतृत्व चाहिए।”
आगे की रणनीति: शिक्षा, रोजगार, कृषि और महिला सशक्तिकरण पर फोकस
रणविजय सिंह ने अपनी भावी कार्ययोजना में इन बिंदुओं को प्रमुख बताया:
- शिक्षा: हर गांव में डिजिटल साक्षरता केंद्र और लाइब्रेरी की स्थापना
- रोजगार: युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण और स्वरोजगार योजनाएं
- कृषि: किसानों के लिए सिंचाई, बीज और बाजार की सुविधा
- महिला सशक्तिकरण: स्व-सहायता समूह, कौशल विकास और स्वास्थ्य सेवाएं
जनता की जुबानी: “अबकी बार अपना हो”
सभा के अंत में जनता की भावनाएं स्पष्ट थीं। हर व्यक्ति अपने स्तर पर इस अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प ले रहा था। नारों की गूंज थी – “बड़हरा मांगे अपना बेटा!”, “रणविजय नहीं तो कौन!” और “अबकी बार अपना हो!”
न बड़हरा की राजनीति में नया अध्याय शुरू
रणविजय सिंह (राजापुर वाले) की यह पहल केवल एक राजनीतिक आयोजन नहीं था, यह एक आंदोलन की शुरुआत है—विकास, सेवा, और ईमानदारी की राजनीति का। बड़हरा की जनता अब विकल्प नहीं, समाधान चाहती है। और यह समाधान शायद उसे रणविजय सिंह के रूप में मिल चुका है।