मानवता की मिसाल बनीं सोनाली सिंह, महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया अनोखा कदम

Report By : तारकेश्वर प्रसाद
आरा, भोजपुर : बिहार के भोजपुर जिले की बड़हरा विधानसभा क्षेत्र की बेटी और सामाजिक कार्यकर्ता सोनाली सिंह ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम उठाया है। उन्होंने फरना गांव में एक भव्य महिला चौपाल का आयोजन किया, जो शिवचर्चा के पावन अवसर पर संपन्न हुआ। इस चौपाल में हजारों की संख्या में ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई। गांव की महिलाओं ने ढोल-झाल बजाकर भक्ति गीत गाए, जिससे माहौल भक्तिमय और सकारात्मक हो गया। चौपाल का उद्देश्य केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका मुख्य मकसद महिलाओं को एक ऐसा मंच देना था जहाँ वे अपनी बात खुलकर रख सकें और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा कर सकें।
इस अवसर पर सोनाली सिंह ने अपने हाथों से हजारों महिलाओं को साड़ी भेंट की। उन्होंने कहा, “यह केवल एक साड़ी नहीं, बल्कि महिलाओं के प्रति सम्मान और समाज में उनके योगदान की मान्यता का प्रतीक है।” साड़ी पाकर महिलाओं के चेहरे पर खुशी और गर्व की झलक देखने को मिली।
चौपाल के दौरान महिलाओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य, घरेलू हिंसा, स्वावलंबन जैसे विषयों पर खुलकर विचार साझा किए। इस आयोजन से यह साबित हुआ कि जब महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक मंच दिया जाए, तो वे अपनी समस्याओं पर खुलकर बात कर सकती हैं और समाधान के लिए आगे आ सकती हैं।
इस आयोजन में सिर्फ फरना गांव की ही नहीं, बल्कि आसपास के कई गांवों की महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं। स्थानीय लोगों ने सोनाली सिंह के इस प्रयास की खुलकर सराहना की और इसे समाज को जोड़ने वाला और महिलाओं को जागरूक करने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।
सोनाली सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महिला चौपाल समाज में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक छोटा लेकिन मजबूत प्रयास है। उन्होंने यह भी संकल्प लिया कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन लगातार किए जाएंगे, ताकि ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिले और वे सामाजिक बदलाव की भागीदार बन सकें।
यह आयोजन न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उदाहरण बना, बल्कि समाज सेवा की भावना को भी मजबूती प्रदान की। सोनाली सिंह की इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जब एक महिला समाज की सेवा के लिए आगे आती है, तो वह एक नई रोशनी बन जाती है – उम्मीद की किरण, जो पूरे गांव और समाज को प्रेरित कर सकती है।