अच्‍छी बारिश में होगी सोयाबीन की बढ़‍िया खेती, बंपर उपज के लिए ये 3 किस्‍में बोएं किसान

Report By: कृषि डेस्क

देश के कई हिस्सों में इस बार मानसून समय पर आने की संभावना है, जिससे खरीफ सीजन की फसलों को बढ़‍िया फायदा मिलेगा। खासतौर पर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान सही किस्में चुनें और वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें, तो इस बार सोयाबीन की बंपर उपज ली जा सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे ऐसी ही 3 प्रमुख किस्मों के बारे में जो अच्छी बारिश में शानदार प्रदर्शन करती हैं और किसानों को बेहतर लाभ देती हैं।

1. JS 20-29 (जेएस 20-29)
यह किस्म मध्य भारत के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी पहचान इसकी जल्दी पकने वाली प्रकृति और अच्छी उपज क्षमता के कारण होती है।

उपज क्षमता: लगभग 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
तैयारी का समय: 90-95 दिन
विशेषताएं: पीलिया, झुलसा एवं अन्य रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता
उपयुक्त क्षेत्र: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़
यह किस्म विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो जल्दी कटाई करना चाहते हैं या जिन्हें अगली फसल की तैयारी करनी होती है।

2. RVS 2001-4 (आरवीएस 2001-4)
यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है जो अनेक रोगों के प्रति सहनशील मानी जाती है। इसकी फली बड़ी और दाने भारी होते हैं।
उपज क्षमता: 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
तैयारी का समय: 100 से 105 दिन
विशेषताएं: तेल की मात्रा 20% से अधिक
उपयुक्त क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, मध्य भारत
जो किसान तेल उद्दोग के लिए सोयाबीन उगाते हैं, उनके लिए यह किस्म विशेष रूप से लाभदायक है।

3. NRC 138 (नरक 138 या ‘पुष्कर’)
यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित की गई है और यह नई तकनीकों से लैस है।
उपज क्षमता: 32 से 38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
तैयारी का समय: 95 से 100 दिन
विशेषताएं: फली झड़ने की समस्या नहीं, असमान वर्षा में भी अच्छा प्रदर्शन
उपयुक्त क्षेत्र: समूचा भारत
यह किस्म नई तकनीकों को अपनाने वाले प्रगतिशील किसानों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

खेती में अपनाएं ये टिप्स
बीज उपचार जरूर करें ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो।
संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें, जैसे DAP, पोटाश और जैविक खाद।
समय पर बुआई और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें।
मिट्टी की जांच जरूर करवाएं ताकि उर्वरकों की सटीक मात्रा का अनुमान लग सके।

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