प्रदेश के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी

Report By: उत्तराखंड डेस्क
देहरादून:उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश के मूल स्वरूप और प्राकृतिक संतुलन से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त लहजे में कहा है कि राज्य सरकार सरकारी भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों और अतिक्रमण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी निर्माण या गतिविधि अवैध पाई जाएगी, उसे बख्शा नहीं जाएगा – उसे हटाया जाएगा।
अवैध अतिक्रमण पर प्रशासन की सख्ती
मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद प्रदेश भर में प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान को तेज़ कर दिया है। नगर निगम, नगर पालिका और राजस्व विभाग के समन्वय से गठित टीमें उन क्षेत्रों में कार्रवाई कर रही हैं जहाँ पर सरकारी भूमि, वन भूमि या ग्रामसभा की भूमि पर अनधिकृत कब्जे की शिकायतें मिली थीं।
अब तक विभिन्न जिलों में सैकड़ों वर्गमीटर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। कई जगहों पर बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण ढहाए गए हैं, वहीं अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी आरंभ की गई है।
पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक ढांचे की सुरक्षा सर्वोपरि
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड एक संवेदनशील हिमालयी राज्य है, जहाँ की भौगोलिक संरचना और पर्यावरणीय संतुलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार किसी भी ऐसे तत्व को बर्दाश्त नहीं करेगी जो प्रदेश की प्राकृतिक विरासत, सामाजिक ताने-बाने या सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करता हो।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि अतिक्रमण न केवल संसाधनों पर अनधिकृत कब्जा है, बल्कि इससे भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी बढ़ जाती है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण से भूस्खलन, जलभराव और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो जन-जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
जनता से सहयोग की अपील
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे सरकारी संपत्ति की रक्षा में प्रशासन का सहयोग करें और यदि किसी क्षेत्र में अतिक्रमण या अनाधिकृत गतिविधियों की जानकारी हो तो उसकी सूचना संबंधित विभागों को दें। उन्होंने यह भी कहा कि “यह प्रदेश हम सबका है, और इसके मूल स्वरूप की रक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है।”
विकास के साथ अनुशासन भी आवश्यक
राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास के रास्ते पर चलना आवश्यक है, लेकिन यह विकास अनुशासन, कानून और नियोजन के दायरे में होना चाहिए। योजनाबद्ध विकास से ही प्रदेश को दीर्घकालिक स्थायित्व और पर्यावरणीय सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।