भोजपुर आरा में वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन


रिपोर्ट – तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

आरा: व्यवहार न्यायालय, आरा परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकार भोजपुर, आरा के तत्वावधान में वर्ष 2025 की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल, सुलभ और त्वरित बनाते हुए पक्षकारों को आपसी सुलह के माध्यम से न्याय दिलाना था।

दीप प्रज्वलन से हुआ उद्घाटन

इस राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश भोजपुर आरा श्री भारत भूषण भसीन की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन कर किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री राकेश कुमार मिश्रा, सचिव श्री मनमोहन ओझा, अभियोजन पदाधिकारी श्री मणिक कुमार सिंह, जिला शासकीय अधिवक्ता श्री राजनाथ सिंह, दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक के वरीय पदाधिकारीगण, सभी न्यायिक पदाधिकारी तथा पक्षकारगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

14 पीठों का गठन, 899 मामलों का निष्पादन

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री गौतम कुमार ने जानकारी दी कि इस लोक अदालत के लिए कुल 14 पीठों (Benches) का गठन किया गया था। इन पीठों ने कुल 899 मामलों का निष्पादन किया, जिसमें 342 बैंक संबंधित वादों और 544 अन्य सुलहनीय वादों का समाधान आपसी सहमति के आधार पर किया गया।

31.8 लाख रुपये की समझौता राशि तय

इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल रु. 31,815,460 (तीस लाख अठारह हजार पाँच सौ साठ) की समझौता राशि निर्धारित की गई, जो पक्षकारों के बीच हुए आपसी सुलह और बैंक मामलों के समाधान से संबंधित है। यह न केवल पक्षकारों के लिए आर्थिक राहत है, बल्कि न्यायालय के लंबित मामलों के बोझ को भी कम करता है।

सफल आयोजन के पीछे निरंतर प्रयास

सचिव गौतम कुमार ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत की तैयारी विगत दो माह से चल रही थी। सभी कार्यालय कर्मियों और पारा विधिक स्वयंसेवकों ने निरंतर परिश्रम कर लोक अदालत की सफलता सुनिश्चित की। उन्होंने बताया कि जनता को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार, जागरूकता अभियान और समन्वय बैठकें लगातार आयोजित की गईं।

लोक अदालत: न्यायिक सुधार की दिशा में एक कदम

राष्ट्रीय लोक अदालतें विवादों के वैकल्पिक समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हैं। इससे न केवल वादियों को शीघ्र न्याय मिलता है, बल्कि न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या भी घटती है। भोजपुर, आरा में आयोजित यह लोक अदालत जनहित, न्याय सुलभता और न्यायिक सेवा के लोकतंत्रीकरण का सशक्त उदाहरण रही।

भोजपुर आरा में आयोजित वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि न्याय केवल कानून के माध्यम से नहीं, बल्कि आपसी संवाद, सहमति और सेवा भावना से भी प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रयास में भागीदार सभी अधिकारी, अधिवक्ता, बैंक प्रतिनिधि, स्वयंसेवक और जनसामान्य प्रशंसा के पात्र हैं।

Related Articles

Back to top button