Published by : Akash Yadav
लखनऊ : सरोजनी नगर से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक और प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह में अपनी एक ब्लॉगिंग वेबसाइट पर रामनवमी के मौके पर प्रभु श्रीराम को लेकर अपने विचार लिखे। डॉ राजेश्वर ने अपने इस ब्लॉग में लिखा कि त्याग और आदर्श के साक्षात स्वरुप भगवान् श्री राम का जीवन भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व के जनमानस को युगों से प्रेरित करता रहा है और करता रहेगा।
राजपरिवार में अवतार लेने के पश्चात भी भगवान राम ने सम्पूर्ण जीवन साधारण रूप से जीते हुए जन कल्याण और जनाकांक्षाओं की पूर्ति को समर्पित कर दिया, भगवान् राम के त्याग ने ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बनाया, जिनके जीवन यात्रा और व्यक्तित्व में न केवल राजधर्म की शिक्षा निहित है वरन एक सामान्य प्राणी से लेकर एक तपस्वी तक, एक सैनिक से लेकर एक चक्रवर्ती राजा हेतु आदर्श भी समाहित है।
असल मायनों में रामराज को परिभाषित करते हुए डॉ राजेश्वर ने ब्लॉग में लिखा कि भारत में शासन व्यवस्था आदि काल से ही रामराज्य की कल्पना के साथ निर्मित की जाती रही है, रामराज की कल्पना महात्मा गांधी ने भी की थी, उन्होंने सच्ची मानव सेवा और निःस्वार्थ जन कल्याण और उत्तम न्याय व्यवस्था को रामराज का मुख्य अंग माना। भारत के संविधान के भाग -3 में भी मौलिक अधिकारों के उल्लेख से पूर्व भगवान् राम का माँ सीता और अनुज लक्ष्मण समेत चित्र – चित्रण भारत के संविधान और संविधान के रक्षकों को श्री राम के चरित्र, आदर्श, उनकी दयालुता और निष्पक्ष व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने के भाव को ध्यान रख अंकित किया गया है।
आगे डॉ राजेश्वर ने लिखा है कि मेरे लिए यह परम गौरव की बात है कि मै उस राजनीतिक दल से जुड़ा हूँ, जिसने सैकड़ो साल पुराने आस्था और संस्कृति पर हुए इस आक्रमण के जख्म मिटाने का लम्बा जन आन्दोलन चलाया और जिसके लिए हमारे बहुत से कार्यकर्ताओं ने अपने प्राणों का बलिदान भी दिया।
आज साक्षात प्रभु श्री राम की प्रेरणा और जन नायक श्री नरेन्द्र मोदी और यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयासों और दृढ संकल्पों के परिणामतः अयोध्या में भगवन राम की जन्मस्थली पर पुनः भव्य राम मंदिर निर्माणाधीन है, जल्द ही प्रभु राम के तीनो अनुजो समेत विग्रह यथास्थल पर भव्यतम रूप में विराजमान होंगे।
आज विश्व को भगवान् राम द्वारा दिखाए गये जीवन मार्ग पर चलने की और अधिक आवश्यकता है, तभी मानव कल्याण और विश्व बंधुत्व की भावना सुदृढ़ हो सकेगी, क्योकि त्याग का भाव ही मनुष्य को सर्वश्रेष्ट बनाता है।