Report By : Sanjay Kumar Sahu
चित्रकूट : आपने अभी तक सिंडीकेट नाम तो सुना ही होगा और सिंडिकेट क्या है इसको भी जानते होंगें अगर नही जानते तो सुन, पढ़ और समझ लीजिए। सिंडीकेट कई तरह से काम करते हैं कोई बालू का सिंडिकेट चलाता है। तो कोई ओवर लोडिंग का सिंडिकेट चलाता है। लेकिन अब जनपद में एक नया सिंडीकेट चल रहा है। अब भी नही समझ पाए तो अब समझ लीजिए, दरसल जनपद के कई मंदिरों में दर्शन करने आये श्रद्धालुओं को लड्डू जबरन खरीद खरीदवाने का। जी हाँ यह सच है। कि पहाड़ी थाना क्षेत्र के नांदी हनुमान मंदिर में दर्शन करने आये श्रद्धालु अपना प्रसाद अपने हिसाब से नही चढ़ा सकते हैं यहां मंदिर में बैठे पुजारी सहित कई ज्ञानीयों और अबोध बालकों द्वारा बाहर से लड्डू ख़रीदने के लिए कहा जाता है।
मतलब की अब देवी देवताओं के मठ मन्दिरो में पुजारियों के मुताबिक प्रसाद चढ़ाना होगा तभी भगवान प्रसन्न् और खुश होंगें। अब समझ मे यह नही आता की प्रसाद आप घर या बाहर के बाजार का क्यों नही चढ़ा सकते। इसके अलावा एक और खाश बात यह है कि नारियल आप कहीं से भी लेकर इस मंदिर में चढ़ा सकते हैं लेकिन लड्डू नही। सवाल यह भी खड़े होते हैं कि कहीं यह बाजारी लड्डू किसी अछूत दुकान से तो नही लिए गए कि वहां के पुजारी बाहर से लड्डू मंगवाकर चढ़ाते हों।
पूरा मामला क्या है जरा अब समझ लें इसका खुलाशा कैसे हुवा।
दरअसल सुबह 9:20 पर जनता टीवी के पत्रकार संजय साहू नांदी हनुमान जी मंदिर अपने पत्नी के साथ पहुंचे तो जैसे ही उन्होंने लड्डू वहां के पुजारियों के हाथ पकड़ आए तो उन्होंने सवाल खड़े कर दिए यह लड्डू कहां से लेकर आए हैं हमने कहा यह लड्डू हम बाजार से लेकर आए हैं और देसी घी के हैं उन्होंने साफ तौर पर मना कर दिया कि हम यह लड्डू भगवान को अर्पित नहीं कर सकते साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आप लड्डू बाहर की दुकान से खरीदें। उसके बाद भगवान को चढ़ाए काफी देर तक वहां पर मौजूद पुजारियों और उनके मन्दिर में मौजूद बैठने वाले नव सीखिए बालकों से पत्रकार की बहस होती रही लेकिन जब पत्रकार भी अपने बातों पर अड़ गए कि कैसे यह लड्डू खराब है और बाहर का लड्डू जो आप मंगवा रहे हैं वह शुद्ध है। तो वहां पर मौजूद लोगों ने कहा कि यहां ढाई सौ रुपया किलो वाला लड्डू शुद्ध है और बाहर वाला लडडू बेकार है उन्होंने कहा कि बाहर वाला लड्डू आप लोग लाते हैं वह देसी घी नहीं होता है।
अब वहाँ पुजारियों और बैठे नव सीखिए बालकों को कौन समझाए कि जब देशी घी 600 रुपये किलो है तो भला लड्डू 250 और 300 रुपये में कैसे शुद्ध मिल सकता है। खैर काफी देर तक बहस के बाद आखिरकार पुजारी ने पत्रकार द्वारा लाए गए 500 किलो देसी घी के लड्डू को ले लिया और कहा कि अगली बार ध्यान रखिएगा।
शक के दायरे में मन्दिर प्रशासन और बाहर वाली लड्डू की दुकान
उसके बाद हमने वहां के आसपास लोगों से भी पूछा कि आखिर यह लड्डू का रहस्य क्या है तो कई लोगों ने बताया कि यहां लड्डू अगर आप बाहर चलाएंगे तो उसको यह लोग नहीं चढ़ाते हैं और बाहर खुली दुकान से लड्डू खरीदने को कहते हैं और यह दुकान भी उन्ही के रिश्तेदारों की है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने लड्डू की जांच के दिये आदेश
शिकायतकर्ता पत्रकार ने जब खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन से लड्डू वाले मामले को लेकर गुहार लगाई तो उन्होंने कहा कि 2 साल पहले भी मंदिर में दो दुकानदारों के बीच इसी तरह का विवाद हुआ था। जिसमें मंदिर प्रशासन के लोगों ने ही एक दुकानदार के ऊपर जबरन मामला थोपने की कोशिश की थी। उस समय भी सैंपल भरा गया था। और जिस दुकानदार के खिलाफ मंदिर प्रशासन आरोप लगा रहा था की यह मिलावट करके लड्डू बेचता है। उसके खिलाफ कोई ऐसा तथ्य मिलावट का सामने नहीं आया था जिससे उसके ऊपर कार्यवाही हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार लड्डू बनाने वाले लोग पामोलिन का तेल इस्तेमाल करते हैं। जो कि खाद्य पदार्थों में सही माना जाता है लेकिन लड्डू के पैकेट में देसी घी का लिखा होना यह अपराध की श्रेणी में आता है। अगर आपने उसको शुद्ध देशी घी बनाया है तभी उसमें देसी घी का जिक्र करें अन्यथा उसमें पामोलिन तेल का ही जिक्र करें।
कुल मिलाकर मन्दिर में भक्तों के द्वारा लाये प्रसाद को न लेना और बाहर से प्रसाद दिलाने को कहना कहाँ तक ठीक है यह देखने वाली बात है। या फिर ऐसे ही दर्शन करने आये भक्त इनका शिकार होते रहेंगे। फिलहाल हमने बाहर की दुकान का लड्डू वाला 250 ग्राम का पैकेट खरीद लिया है। और लड्डू की क्वालिटी जानने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग से गुहार लगाई है।