उत्तराखंड वन्यजीव बोर्ड की 21वीं बैठक संपन्न: वन संरक्षण और आजीविका को जोड़ने पर दिया गया जोर

Report By: उत्तराखंड डेस्क
देहरादून: सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 21वीं बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें वनों के संरक्षण के साथ-साथ वन संपदाओं को स्थानीय लोगों की आजीविका से जोड़ने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की, जिसमें वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, पर्यावरणविदों और अन्य संबंधित विशेषज्ञों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि आने वाले 10 वर्षों की एक समग्र योजना तैयार की जाए, जो इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) और इकोनॉमी (अर्थव्यवस्था) के बीच संतुलन स्थापित कर सके। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा न केवल राज्य की पहचान है, बल्कि यह स्थानीय लोगों की आजीविका और राज्य की अर्थव्यवस्था का भी एक महत्वपूर्ण आधार है।
वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े 25 प्रस्तावों को मिली मंजूरी
बैठक में संरक्षित क्षेत्रों तथा उनके 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तांतरण एवं अन्य संबंधित मामलों पर कुल 25 प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान किया गया। ये प्रस्ताव विकासात्मक परियोजनाओं से जुड़े हैं, लेकिन अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया कि किसी भी परियोजना में वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरणीय मानकों का पूर्ण रूप से पालन किया जाए।
रूद्रनाथ यात्रा मार्ग और ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर को मिली हरी झंडी
बैठक में एक अहम निर्णय के तहत श्री रूद्रनाथ यात्रा मार्ग को ईको डेवलपमेंट कमेटी (EDC) के माध्यम से संचालित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इससे न केवल यात्रा मार्ग की बेहतर देखरेख हो सकेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
इसके अतिरिक्त केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग, गोपेश्वर के अंतर्गत एक मिनी ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर की स्थापना के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। यह केंद्र घायल या बीमार वन्यजीवों के त्वरित उपचार के लिए एक अहम सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
ईको-टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की पहल
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि वन क्षेत्रों के आसपास ईको-टूरिज्म गतिविधियों को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और पर्यावरणीय जागरूकता में भी वृद्धि होगी।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम और त्वरित मुआवजा वितरण के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया जाए। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और प्रभावित लोगों को शीघ्र सहायता मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड की पहचान उसकी प्राकृतिक संपदा और जैव विविधता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी हो। स्थानीय समुदायों को वन संरक्षण में भागीदार बनाकर हम एक मजबूत और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।”