आरा में बिना रजिस्ट्रेशन वाले कोचिंग संस्थान: छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़

Report By : तारकेश्वर सिंह
आरा : भोजपुर जिले का एक प्रमुख शहर है, जहां शिक्षा को लेकर हमेशा जागरूकता रही है। यहां के छात्र बिहार और देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी मेहनत और प्रतिभा से नाम कमाते रहे हैं। लेकिन हाल के समय में यहां एक गंभीर समस्या सामने आ रही है, जो छात्रों के भविष्य को गहराई से प्रभावित कर रही है।
यह समस्या है – बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे कोचिंग संस्थानों की। आरा में बड़ी संख्या में ऐसे कोचिंग सेंटर चल रहे हैं जिनका कोई सरकारी पंजीकरण नहीं है और जो किसी भी प्रकार की मान्यता के बिना ही छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
बिना रजिस्ट्रेशन वाले इन संस्थानों के कई दुष्परिणाम हैं। सबसे पहली और बड़ी समस्या शिक्षा की गुणवत्ता में कमी है। चूंकि इन कोचिंग संस्थानों पर किसी भी सरकारी एजेंसी की निगरानी नहीं होती, इसलिए यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता पर कोई नियंत्रण नहीं होता। पाठ्यक्रम भी मनमाने ढंग से पढ़ाया जाता है। इसका सीधा असर छात्रों की तैयारी और उनके भविष्य पर पड़ता है।
दूसरी बड़ी समस्या फीस को लेकर है। ये कोचिंग संस्थान अपनी फीस खुद तय करते हैं और छात्रों से मनमाना पैसा वसूलते हैं। अभिभावकों को मजबूरी में यह फीस चुकानी पड़ती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बच्चों का भविष्य इन संस्थानों पर निर्भर है।
तीसरा महत्वपूर्ण पहलू सुरक्षा और सुविधाओं से जुड़ा है। बिना मान्यता वाले इन संस्थानों में शौचालय, पीने के पानी, इमरजेंसी सुविधाएं और स्वास्थ्य संबंधी कोई व्यवस्था नहीं होती। कई बार तो यह देखा गया है कि संस्थान बहुत ही तंग और असुरक्षित जगहों पर चल रहे होते हैं, जहां आग लगने या अन्य दुर्घटनाओं की स्थिति में गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
इसके अलावा, इन संस्थानों के संचालन में कोई पारदर्शिता नहीं होती। चूंकि इनका कोई कानूनी दायित्व नहीं होता, इसलिए ये किसी भी नियम का पालन नहीं करते। छात्र और उनके अभिभावक यदि किसी शिकायत को लेकर संस्थान से संपर्क करते हैं, तो उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
अब सवाल उठता है कि इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है? इसके लिए सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सभी कोचिंग संस्थानों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करें। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी संस्थान न चले – यह सुनिश्चित किया जाए।
दूसरा उपाय यह है कि कोचिंग संस्थानों के लिए मानक संचालन नियम (SOPs) तय किए जाएं। इनमें शिक्षक की न्यूनतम योग्यता, पाठ्यक्रम, न्यूनतम सुविधाएं, भवन की सुरक्षा, अग्निशमन व्यवस्था और स्वास्थ्य मानकों को शामिल किया जाना चाहिए।
तीसरा, एक मजबूत निगरानी प्रणाली बनाई जाए, जिसके तहत सरकारी अधिकारी समय-समय पर संस्थानों का निरीक्षण करें। जो संस्थान इन मानकों का पालन नहीं करें, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अंत में, छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए, जिससे वे अपनी समस्याओं की रिपोर्ट सीधे शिक्षा विभाग को कर सकें। इससे न सिर्फ अनियमितताओं पर रोक लगेगी, बल्कि छात्रों और अभिभावकों का भरोसा भी बढ़ेगा।
निष्कर्ष यही है कि आरा जैसे शिक्षा-प्रिय शहर में बिना रजिस्ट्रेशन वाले कोचिंग संस्थानों को रोकना समय की मांग है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य का सवाल है। सरकार और शिक्षा विभाग को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हर छात्र को सुरक्षित, मानक आधारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।