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शिक्षा प्रणाली ऐसी हो जो राष्ट्र की प्रगति में दें सार्थक योगदान : अंबिका मिश्रा

भारत में नवाचार के चुनौतियों और अवसरों पर 7वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का अंबालिका इंस्टीट्यूट में हुआ भव्य शुभारंभ

‘भारत में नवाचार की चुनौतियों और अवसरों’ पर हुई गहन चर्चा, कई वैश्विक नेताओं, प्रमुख शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने लिया हिस्सा

7वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मजबूत और समानाधिकारी शिक्षा प्रणाली के निर्माण पर दिया गया जोर

रिपोर्ट : आकाश यादव

लखनऊ : भारत में नवाचार के चुनौतियों और अवसरों पर 7वीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का पहला दिन आज यानी 23.02.2024 को प्रारंभ हुआ जिसमें वैश्विक नेताओं, प्रमुख शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं का एक सम्मानित समूह, आईआईटी, एनआईटी, जेएनयू नई दिल्ली, बीएचयू वाराणसी, चेक गणराज्य के र्ब्नो के मेंडल विश्वविद्यालय और कई अन्य प्रतिष्ठित शैक्षिक और शोध संगठनों से, लखनऊ में स्थित अंबालिका प्रबंधन और प्रौद्योगिकी संस्थान में संचारित हुआ।


इस आयोजन में सभी गणमान्य अतिथियों का भव्य स्वागत और कार्यकारी निदेशक श्री अंबिका मिश्रा का प्रेरणादायक भाषण के साथ आयोजन आरंभ हुआ। उन्होंने नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि हम सभी को एक मजबूत और समानाधिकारी शिक्षा प्रणाली के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए जो हर व्यक्ति को उनकी पूरी क्षमता को समझने और हमारे राष्ट्र की प्रगति में सार्थक योगदान देने की क्षमता प्रदान करती है। उन्होंने अंबालिका समूह के अध्यक्ष श्री बी0 सी0 मिश्रा जी, सम्मानीय स्वर्गीय रमा मिश्रा और उनकी पत्नी श्रीमती आराधना मिश्रा, एम.एल.ए. रामपुर खास, ने अजेय समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया, जिनका महत्वपूर्ण भूमिका अंबालिका समूह को भारत के प्रमुख और शीर्ष-स्थानीय संस्थानों में से एक बनाने में निभाया है।


मुख्य अतिथि प्रो. जे पी पांडेय, कुलपति, एकेटीयू ने अपने भाषण में अभिनवता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि हमें सभी को मूल स्तर पर नईता को प्रोत्साहित करना चाहिए, किसानों और आम व्यक्तियों से लेकर छात्रों तक, प्रगति और जीवन की गुणवत्ता में संतुलन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने संस्थान की स्टार्टअप और इंक्यूबेशन सेल की भी सराहना की।

मुख्य अतिथि नम्रता पाठक, पत्नी ब्रजेश पाठक उप मुख्यमंत्री, उप्र, एक सामाजिक कार्यकर्ता और यूपी महिला आयोग के पूर्व सदस्य, ने अपने वैचारिक व्याख्यानों में कहा कि स्थानीय स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है जबकि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी पोषण और संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है।

सम्मेलन के पहले दिन अनुभवी प्रो0 चंद्र मोहन एवं प्रो. विनोद चंद्रा ने नवाचार से संबन्धित अनेक विचारों पर परिचर्चा की। प्रो0 चंद्र मोहन, भारत सरकार के विज्ञान संचार के पूर्व मुख्य अध्यक्ष, ने नवाचार के अवसरों के बारे में मूल्यवान अवलोकन प्रदान किया। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद विज्ञान की क्रांति का वर्णन किया जो भारत में उच्च शिक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों के सुधारों के माध्यम से की गई।


विनोद चंद्र ने सस्टेनेबिलिटी पर अपने भाषण में ध्यान आकर्षित किया, उन्होंने प्रतिष्ठित डॉ0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी द्वारा प्रेरित प्रौद्योगिकी से गाँवों (टीटीवी) कार्यक्रम पर जोर दिया, और उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत में प्रौद्योगिकी को बढ़ानें की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

सम्मेलन के दौरान विषयों की विविधता ने सम्मेलन की प्रतिबद्धता को ग्लोबल मुद्दों के समाधान के लिए अनेकों दृष्टिकोणों का अन्वेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रतिभागियों को वक्ताओं के साथ प्रश्नोत्तर सत्र के माध्यम से शामिल होने का अवसर मिला, जो विचारों और दृष्टिकोणों का विनिमय और वातावरण को और भी मजबूत बनाता है।

प्रो. ओपी सिंह, एमडी, कायाचिकित्सा, बीएचयू, वाराणसी, ने मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने में आयुर्वेद के महत्व के बारे में चर्चा की, जो वात, पित्त और कफ के बीच संतुलन को समझने और अन्य प्राकृतिक तत्वों के साथ अनुकूलन करने में सहायक है।

डॉ. पुनीत मिश्रा, सामाजिक परिपेक्ष्य में संवर्धनीय न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन) की शक्ति के बारे में चर्चा की। प्रो. मनीष तिवारी, एमएनएनआईटी के मल्टीलेयर पर्सेप्ट्रॉन इनफेरेंस सत्र को सभी प्रतिभागियों ने पसंद किया।
उद्घाटन सत्र का समापन संस्थान के निदेशक प्रो. आशुतोष द्विवेदी और अतिरिक्त निदेशक संयोजक प्रो0 श्वेता मिश्रा द्वारा धन्यवाद देकर किया गया। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन संस्थान के डीन प्रो0 अभिषेक मिश्र, डॉ0 पंकज प्रजापति, सतीश कुमार सिंह और डॉ0 अवनीश कुमार सिंह द्वारा किया गया।