*वेतन वृद्धि और बीमा के लाभ नहीं देने पर आजीविका मिशन के कर्मचारियों ने महिला एवं बाल विकास संयुक्त समिति के सभापति और सीडीओ को सौंपा ज्ञापन*
*ग्रामीण अंचलों में घर-घर से है इनका नाता*
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंर्तगत प्रदेश के 60 लाख वंचित और निर्धन परिवार की ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर आर्थिक उन्नयन एवं सामाजिक समावेश का कार्य किया जा रहा है। परिवार के भरण पोषण के लिए आजीविका मिशन एक अवसर दिया है। इसमें से समूह सखी,आजीविका सखी, बैंक सखी, आई0 सी0आर0पी0 आदि समूह की लगभग 1 लाख महिलाएं सामुदायिक कैडर के रुप में अत्यंत ही कम दैनिक मानदेय पर कार्य कर रही है। इन 60 लाख महिलाओं के जीवन स्तर को सुदृढ़ बनाने हेतु लगभग 5000 ब्लाक मिशन प्रबन्धक, कंप्यूटर ऑपरेटर व जनपद स्तर पर जिला मिशन प्रबन्धक कार्यरत हैं। ग्रामीण अंचलों में घर घर से इनका नाता है। इन प्रोफेशनल द्वारा माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री महामहिम राज्यपाल के विभिन्न कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रतिभाग कराया गया। अब इन सबकी नौकरी मिशन के आलाधिकारियों की गलत नीतियों के कारण कर्मियों के भविष्य अंधकारमय हो गया है। अगर सक्षम स्तर से समुचित निर्णय नहीं लिया गया तो कलमबंद हड़ताल करेंगे। जगह जगह सभी लामबन्द होने लगे हैं। सबके अन्दर आग सुलग रही है।
13वीं शासी निकाय की बैठक दिनांक 4.12.2017 में लिए गये निर्णयों के अनुसार समस्त प्रोफेशनल को प्रत्येक वर्ष 7% वार्षिक इंक्रीमेंट देने का प्रावधान किया गया था। सभी प्रोफेशनल सुदूर देहात ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर काम करते हैं। इनके लिए 7.5 लाख रुपए का बीमा कराया जाना अनुमोदित है। इसके बावजूद अब तक किसी भी प्रोफेशनल को वार्षिक इंक्रीमेंट या बीमा का लाभ नहीं दिया गया। जबकि 221 प्रोफेशनल दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की खंडपीठ, लखनऊ में दायर रिट याचिका संख्या 13147 एस/एस, 2020 के प्रत्युत्तर में न्यायालय को भी गुमराह किया गया है।
इस सम्बन्ध में बरेली, गोण्डा, देवरिया, प्रयागराज, लखनऊ, मैनपुरी, बस्ती, हाथरस, मुज़फ्फरनगर, इटावा, सीतापुर, रामपुर सहित प्रदेश भर के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार और क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों को सम्बोधित ज्ञापन मुख्य विकास अधिकारी को सौंपा है। आजीविका मिशन के कर्मचारियों के नराजगी से चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। इनकी छह सूत्री मांगे निम्न प्रकार है।
1) आउटसोर्स एजेंसी SAMS द्वारा जारी विज्ञप्ति को तत्काल रद्द किया जाए। 2) आउटसोर्सिंग प्रक्रिया को बंद करते हुए मिशन कर्मियों को विभागीय संविदा पर रखा जाए। 3) शासी निकाय की बैठक में अनुमोदित मानव संसाधन नियमावली 2017 को यथावत लागू करते हुऐ वर्णित समस्त लाभ प्रदान किए जाए। 4) समस्त मिशन कर्मियो को आयु सीमा के आधार पर 62 वर्ष से पूर्व सेवा से न हटाया जाए। 5) मिशन में कार्यरत अल्पवेतन भोगी महिला कैडर के मानदेय में संशोधन कर बढ़ोत्तरी की जाए। 6) मिशन में कार्यरत कर्मियों के ट्रांसफर के संबंध में कोई पारदर्शी नियम नहीं है मनमाने ढंग से ट्रांसफर पर रोक लगाई जाए।
अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो उत्तर प्रदेश के 58000 ग्राम पंचायतों में अनिश्चित काल तक कलम बंद हड़ताल होगा।
इटावा में सदर विधायिका और महिला एवं बाल विकास संयुक्त समिति के सभापति सरिता भदौरिया व मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार राय को समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति में ज्ञापन सौंपा गया।