उत्तराखण्ड में मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाएं: केंद्रीय मंत्री को भेंट किया गया शुद्ध शहद

देहरादून: उत्तराखण्ड की जैविक विविधता से भरपूर भूमि और जलवायु को मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी संभावना के रूप में देखा जा रहा है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड के प्रतिनिधियों ने आज केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को शासकीय आवास पर भेंट कर प्रदेश में ही उत्पादित शुद्ध व जैविक शहद भेंट किया।
इस अवसर पर मंत्री महोदय को राज्य में मधुमक्खी पालन से जुड़ी संभावनाओं, स्वरोजगार के बढ़ते अवसरों, तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इसके योगदान के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। बताया गया कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियां – पर्वतीय क्षेत्र, विविध पुष्प वनस्पतियां, और स्वच्छ पर्यावरण – मधुमक्खियों के पालन और गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल हैं।
शुद्धता और जैविकता बनी पहचान
उत्तराखण्ड में उत्पादित शहद अपनी विशिष्ट गुणवत्ता, शुद्धता और जैविकता के लिए जाना जाता है। इसकी बढ़ती मांग न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी देखने को मिल रही है। यूरोप, खाड़ी देश और अमेरिका जैसे बाजारों में उत्तराखण्ड के शहद की खास पहचान बन चुकी है। इसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानों, महिला स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण उद्यमियों को मिल रहा है।
स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
राज्य सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रशिक्षण, उपकरणों की आपूर्ति, विपणन सहायता एवं निर्यात में सहयोग जैसे कदमों से हजारों किसानों और बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता खुला है। इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है, जिससे सामाजिक और आर्थिक बदलाव स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने की पहल की सराहना
श्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तराखण्ड के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि “ऐसे नवाचार ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता की नींव हैं। मधुमक्खी पालन न केवल एक समृद्ध कृषि सहयोगी गतिविधि है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास का मजबूत आधार बन सकती है।” उन्होंने इस दिशा में केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन भी दिया।
निर्यात संभावनाएं और भविष्य की रणनीति
प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में शहद उत्पादन को दुगुना कर, इसके निर्यात को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया जाए। इसके लिए “उत्तराखण्ड हनी ब्रांड” के अंतर्गत वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ब्रांडिंग, पैकेजिंग और प्रमोशन की योजनाएं बनाई जा रही हैं। साथ ही, हनी टूरिज्म, बी-वाक्स उत्पादों और अन्य मधुमक्खी आधारित उद्योगों को भी विकसित किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड का शुद्ध और जैविक शहद अब न केवल प्रदेश की शान बनता जा रहा है, बल्कि यह पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा भी है कि कैसे पारंपरिक कृषि गतिविधियों को नवाचार और बाज़ार उन्मुख रणनीतियों के साथ जोड़कर ग्रामीण विकास और रोजगार को नई दिशा दी जा सकती है।