राजभवन में सर्वधर्म गोष्ठी: एकता, शांति और राष्ट्रभक्ति का संदेश



देहरादून:राज्य की राजधानी देहरादून स्थित राजभवन में शनिवार को एक विशेष सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), विभिन्न धर्मों के प्रमुख प्रतिनिधि, समाजसेवी और अधिकारी शामिल हुए। गोष्ठी का उद्देश्य देश की एकता, अखंडता, और सांप्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करना था।

राज्यपाल ने दिया एकता और शांति का संदेश

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार की गोष्ठियां हमारे राष्ट्र के प्रति साझा उत्तरदायित्व को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का मूल संदेश एक ही है – एकता, करुणा और शांति।

राज्यपाल ने कहा, “आज हम सब यहां धर्म, जाति और मत की सीमाओं से परे एक साथ खड़े हैं। हमारी सेना सीमाओं की रक्षा कर रही है और हम सब देश की आत्मा के रूप में संगठित हैं। एक पूर्व सैनिक के नाते मैं जानता हूं कि सैनिक की सबसे बड़ी ताकत उसका मनोबल होता है। आज की यह गोष्ठी सैनिकों के मनोबल को सशक्त करने का प्रतीक है।”

उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की सेना आतंकवाद के खिलाफ सशक्त कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की सराहना करते हुए कहा कि वे भारत की सशक्त मातृशक्ति का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने साझा की धर्मों की एकता की विरासत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब भी भारत पर संकट आया है, सभी धर्मों, संप्रदायों और समुदायों के लोगों ने एकजुट होकर राष्ट्र के हित में कार्य किया है। उन्होंने कहा,
“हमारे वेदों में कहा गया है – ‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’ – अर्थात्, हम सभी एक साथ चलें, एक विचार करें और एक लक्ष्य की ओर अग्रसर हों।”

मुख्यमंत्री ने विभिन्न धर्मों की शिक्षाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि धर्म का मूल उद्देश्य सत्य, प्रेम, करूणा और समरसता की स्थापना करना है। उन्होंने भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, गुरु गोविंद सिंह, ईसा मसीह और पैगंबर मोहम्मद साहब के आदर्शों का उल्लेख करते हुए बताया कि जब अधर्म सिर उठाए, तो चुप रहना भी अधर्म को बढ़ावा देना होता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की वीर भूमि ने हमेशा राष्ट्रभक्ति, बलिदान और त्याग की मिसाल कायम की है और आज भी प्रदेश की जनता को सेना के साथ मजबूती से खड़ा रहना है।

सभी धर्मगुरुओं ने रखा अपना दृष्टिकोण

गोष्ठी में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि पूजा पद्धतियां भले ही अलग हों, परंतु हम सबकी भक्ति सिर्फ राष्ट्रभक्ति होनी चाहिए।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री शादाब शम्स ने कहा,
“भारत से सुंदर देश कोई नहीं। हम सभी भारत माता की संतान हैं, और यही हमारी सबसे बड़ी पहचान है।”

बौद्ध धर्मावलंबी श्री सोनम चोग्याल, ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ, और सरदार गुरबक्श सिंह राजन ने भी अपने विचार साझा करते हुए भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने का आह्वान किया।

उपस्थित गणमान्य और समापन

गोष्ठी में राज्यपाल के सचिव श्री रविनाथ रामन, महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी, विभिन्न पंथों के अनुयायी, समाजसेवी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह आयोजन समरसता, सहिष्णुता और राष्ट्रीय एकता को समर्पित एक प्रभावशाली पहल रहा, जिसने यह संदेश दिया कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है।

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