चित्रकूट में हादसे का खतरा: प्रशासन की लापरवाही से श्रद्धालुओं की सुरक्षा दांव पर
Report By : संजय साहू
चित्रकूट : महाकुंभ 2025 से लौटे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इन दिनों रामघाट और कामतानाथ मंदिर के दर्शन के लिए चित्रकूट पहुंच रही है। रामघाट और कामतानाथ मंदिर, जो कि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इन स्थानों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस भीड़ के बीच एक गंभीर समस्या ने जन्म लिया है, जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा को दांव पर लगा सकती है।
चित्रकूट में बेड़ी पुलिया, जो कि श्रद्धालुओं के लिए मुख्य मार्ग है, अब प्रशासन की लापरवाही के कारण हादसे का शिकार हो सकती है। फिलहाल, 30 फीट चौड़ी यह पुलिया अब मात्र 10 फीट रह गई है। इस संकरे मार्ग से श्रद्धालुओं का गुजरना काफी मुश्किल हो गया है, और यह स्थिति भगदड़ जैसी घटनाओं को जन्म दे सकती है।
बेड़ी पुलिया पर इस संकरे रास्ते की वजह से हर रोज़ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महाकुंभ 2025 के दौरान जो श्रद्धालु चित्रकूट आए थे, उनके लौटने के बाद अब रामघाट और कामतानाथ के दर्शन के लिए एक और भारी भीड़ उमड़ी है। इस समय, पुलिया का संकरा रास्ता, जिसमें मुश्किल से दो व्यक्तियों का गुजर पाना संभव हो रहा है, श्रद्धालुओं के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है।
जब इस बारे में पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव से सवाल किया गया, तो उन्होंने अपने जवाब में कहा, “अब क्या कर सकते हैं, सबकी सुरक्षा प्रभु कामतानाथ करेंगे।” इस बयान से प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता स्पष्ट रूप से झलकती है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर यह बेपरवाही चिंताजनक है और यह सवाल उठाता है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे के बाद ही इस मुद्दे पर ध्यान देगा?
चित्रकूट में पर्यटन बढ़ने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है कि प्रशासन इस संकट को अभी तक गंभीरता से नहीं ले रहा है। हर साल चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, और प्रशासन को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान तुरंत करे। पुलिया के मार्ग को चौड़ा करने या श्रद्धालुओं के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही, यातायात व्यवस्था को भी बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि किसी प्रकार की भगदड़ या हादसा न हो।
अगर प्रशासन समय रहते नहीं चेता, तो एक बड़ी त्रासदी हो सकती है, जिसकी जिम्मेदारी अधिकारियों पर होगी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को अब भी सतर्क होने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह के खतरे से बचा जा सके।
चित्रकूट में प्रशासन की लापरवाही के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में है। जहां एक ओर श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और धार्मिक स्थल की महत्ता बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी और बेमन से काम करने की प्रवृत्ति साफ तौर पर खतरे की घंटी बजा रही है। अब यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेकर जल्द ही इसका समाधान निकालेगा, या फिर किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही जागेगा।
यह वक्त है जब प्रशासन को अपने कर्तव्यों को गंभीरता से निभाते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए।