झाँसी की रानी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत सुजीत यादव
देवकली ब्लॉक के ग्रामसभा बाघी में श्रद्धांजलि सभा आयोजित

Report By: आसिफ अंसारी
गाजीपुर, नन्दगंज : सदर विधानसभा क्षेत्र के देवकली ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा बाघी में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व यादव महासभा व पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक विकास महासंघ के जिलाध्यक्ष श्री सुजीत यादव ने किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे और सभी ने झाँसी की रानी को श्रद्धापूर्वक याद किया। जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ने अपने संबोधन में कहा कि रानी लक्ष्मीबाई केवल एक रानी नहीं थीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक ज्वलंत प्रतीक थीं। उन्होंने बहुत कम उम्र में देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका जीवन साहस, आत्मबल और देशभक्ति से भरपूर था। वे हर महिला और युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
सुजीत यादव ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को वाराणसी में हुआ था। बचपन में उनका नाम मनु था और उन्हें मणिकर्णिका तथा छबीली कहकर पुकारा जाता था। वे छोटी उम्र से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी और युद्ध कौशल में निपुण थीं। मात्र सात साल की उम्र में उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ और विवाह के बाद उन्हें लक्ष्मीबाई नाम मिला। राजा की मृत्यु के बाद रानी ने अंग्रेजों द्वारा राज्य को हड़पने की साजिश के खिलाफ जोरदार संघर्ष किया और कहा “मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।”
1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई ने वीरता से अंग्रेजों से लोहा लिया। उन्होंने अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को पीठ पर बांधकर युद्ध किया और अंत तक हार नहीं मानी। अंत में 18 जून 1858 को ग्वालियर के युद्ध में उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
श्रद्धांजलि सभा में मौजूद सभी लोगों ने रानी लक्ष्मीबाई के साहस और बलिदान को नमन किया और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी। सभा में पूर्व जिला पंचायत सदस्य सूरज राम बागी, यादव महासभा के जिला उपाध्यक्ष सिंगासन यादव, भाजपा नेता बालिस्टर यादव, सपा नेता अभिषेक बिट्टू, बसपा नेता अजय करैला, सपा नेता डॉ. विनोद यादव और अजय यादव समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
अंत में सुजीत यादव ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चे इरादों और साहस के साथ किसी भी अन्याय के खिलाफ लड़ा जा सकता है। वह हर पीढ़ी के लिए आदर्श हैं और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।