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हम मूर्ति नही, जान डाल डालते है देवी प्रतिमाओं में : बाबुलपाल


कल से शुरू होगी शारदीय नवरात्रि, नौ दिन रहेगी धूम

रिपोर्ट : संजय साहू

चित्रकूट : शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 15 अक्टूबर यानी कल रविवार से शुरू होने जा रहा है। नौ दिनों तक यह पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा, 25 अक्टूबर को नम आंखों से मातारानी को विदाई दी जाएगी। शारदीय नवरात्रि शुरू होने पहले देवी प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों ने प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना भी शुरू कर दिया है, जनपद में शहर से लेकर गाँवो तक लगभग 900 से ज्यादा जगहों पर देवी प्रतिमा विराजमान होंगी । इसी को लेकर हमने 10 सालों से मूर्ति बनाने वाले कलकत्ता के कलाकार बाबुलपाल से बातचीत की, सुनिए बाबुलपाल ने देवी प्रतिमाओं के खर्च को लेकर क्या कहा।

बाबुलपाल कलकत्ता के रहने वाले है, चित्रकूट में दस सालों से मूर्ति बनाते चले आ रहे हैं। वह चित्रकूट धाम कर्वी स्टेशन के सामने वाली गली में मूर्ति बनाते हैं, इनकी बनाई मूर्ति चित्रकूट सहित आसपास के जनपदों में भी काफी लोकप्रिय है । इनके साथ काम करने वाले छ: अन्य साथी हैं जो, इनके कामो में सालों से हाँथ बंटाते चले आ रहे हैं। बाबुल का कहना है कि आसपास के कई गांवो के लोग परिचित हैं, स्थानीय एवं आसपास के लोग पहले से आर्डर देते है, जिसके बाद प्रतिमा तैयार करते है।

एक मूर्ति बनाने में क्या लागत लगती है

एक प्रतिमा तैयार करने में इनके हिसाब से 5 हज़ार की मूर्ति है तो, उसमें लगभग चार हज़ार तीन सौ तक का खर्च आता है । एक मूर्ति बनाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं लेकिन इनके काम करने का तरीका ही अलग अंदाज भरा है। कारीगर साथियों के सहयोग से यह एक साथ पहले सभी मूर्ति के ढांचे तैयार कर लेते हैं, जिससे मूर्ति बनाने में आसानी के साथ साथ जल्दी तैयार हो जाती है।

मूर्ति बनाने के लिए किस प्रकार की मिटटी का प्रयोग करना चाहिए

बाबुलपाल ने बताया कि चेहरे को आकृति देने के लिए कलकत्ता के गंगा जी से मिटटी लाते हैं, शरीर की संरचना के लिए मिटटी आस पास के इलाको से लेते है । इसके साथ ही माता का श्रंगार कलकत्ता से आता है। बाबुलपाल मानते हैं कि किसी भी देवी प्रतिमा को बनाने के लिए गंगा की मिट्टी का भी प्रयोग शुभ होता है, जब माता का मुखड़ा खिलता है तो लगता है हमारा काम सफल हो गया ।

सरकार से किसी प्रकार की सहायता

मूर्ति के कार्य में हमारा सरकार से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन यहाँ का स्थानीय प्रशासन हमारी बहुत मदद करता है । हम कलकत्ता से आकर कर्वी में इतना अच्छा काम कर रहे हैं, हमें स्थानीय पुलिस प्रसाशन से भी सहयोग प्राप्त होता है ।

स्थानीय कलाकार और बाबुलपाल द्वारा निर्मित मूर्ति के अंतर

स्थानीय मूर्ति कलाकार की मूर्ति में चेहरे में कोई फिनिशिंग नही होती है, मेरे द्वारा निर्मित मूर्ति सफाई होती है। जिससे खरीददार मेरे द्वारा निर्मित मूर्ति खरीदना पसंद करते है।

नौजवानों को बाबुलपाल मूर्ति कलाकार का संदेश

बाबुलपाल अपना अनुभव बताते हुए कहते है कि मुझे सीखने में 13 साल लग गया जिसके बाद आज मेरे साथ 4 अन्य सदस्य कार्य करते है । वो सभी कलकत्ता के रहने वाले है जो मेरे साथ मूर्ति को सुसज्जित करने में सहयोग करते है, मेरे द्वारा आज तक 50 गणेश मूर्ति,10 किशन भगवान,110 देवी प्रतिमा बनाई गयी है ।

आपकी पीढ़ी क्या करती थी

हमारे बाबा, दादा मेरे पिताजी मूर्तिकार का ही कार्य करते रहे है, हम चार पीढ़ी से काम करते चले आ रहे हैं । हम सब कलकत्ता में रहते है, हमारा घर 35 किलोमीटर दूर किशन नगर नदिया जिला के निवासी है।