सम्भल में 10 और 1 रूपये के सिक्कों को लेकर भ्रम की स्थिति, आम लोगों को भारी परेशानी क्या कहता है कानून?

Report By: रजत मल्होत्रा

संभल:धनारी क्षेत्र में इन दिनों भारतीय मुद्रा को लेकर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। आम बाजारों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि दुकानदार और ग्राहक 10 रूपये और 1 रूपये के सिक्कों को लेने से साफ इनकार कर रहे हैं। यह स्थिति धीरे-धीरे विकराल रूप ले रही है और इसका सीधा असर आम जनता, विशेष रूप से गरीब, मजदूर और बुजुर्ग वर्ग पर पड़ रहा है।

दुकानदार बोले ये सिक्के नहीं चलते
स्थानीय बाजारों में 10 रुपये के फूल-पत्ती डिज़ाइन वाले सिक्कों और 1 रुपये के छोटे आकार वाले सिक्कों को लेकर भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई दुकानदारों का कहना है कि ये सिक्के अब चलन में नहीं हैं। कुछ तो इन्हें नकली तक करार दे रहे हैं।
स्थानीय निवासी राजेश कुमार ने बताया, “मैंने चाय के पैसे देने के लिए 10 रुपये का सिक्का दिया तो दुकानदार ने कहा कि यह नहीं चलेगा। जब मैंने पूछा क्यों, तो उसने कहा कि ये बंद हो चुका है। मैंने उसे आरबीआई की गाइडलाइन का हवाला दिया, लेकिन उसने साफ इनकार कर दिया।”

सोशल मीडिया और अफवाहों का असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति सोशल मीडिया और अफवाहों के कारण बनी है। कई व्हाट्सऐप ग्रुप और फेसबुक पोस्ट में यह झूठ फैलाया गया कि कुछ सिक्के बंद कर दिए गए हैं या अब वैध नहीं हैं। इन अफवाहों के चलते दुकानदार और ग्राहक दोनों भ्रमित हो गए हैं। नतीजतन, वैध मुद्रा होने के बावजूद लोग इन सिक्कों को लेने से कतरा रहे हैं।

आम जनता को हो रही परेशानियां
इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और बुजुर्ग वर्ग हो रहा है, जिनके पास अक्सर छोटे मूल्यवर्ग के सिक्के ही होते हैं। उन्हें हर रोज़ सामान खरीदने, बस या रिक्शा में किराया देने या छोटे भुगतान करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
एक बुजुर्ग महिला गीता देवी ने बताया, “मेरे पास 10 रूपये के पांच सिक्के थे। सब्ज़ी वाले ने कहा कि ये नहीं लूंगा, कुछ और दो। मैं क्या करती? वही पैसे थे मेरे पास।”

आरबीआई की स्थिति स्पष्ट
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) समय-समय पर यह स्पष्ट करता रहा है कि 10 रूपये और 1 रूपये सहित सभी मूल्यवर्ग के सिक्के, चाहे वे किसी भी डिज़ाइन या वर्ष के हों, वैध हैं और चलन में हैं।

RBI की वेबसाइट और प्रेस विज्ञप्तियों में साफ तौर पर कहा गया है कि:
सभी प्रकार के सिक्के, जिनका उत्पादन भारत सरकार द्वारा किया गया है, वे वैध मुद्रा हैं और जनता को बिना किसी भय या भ्रम के इनका उपयोग करना चाहिए।”

क्या कहता है कानून?
भारतीय मुद्रा अधिनियम 2011 के अनुसार, देश में जारी किसी भी वैध मुद्रा को लेने से इनकार करना कानूनन गलत है। ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, वैध मुद्रा को लेने से इनकार न करे। ऐसा करना “भारतीय मुद्रा का अपमान” माना जाता है और यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।

जनता ने प्रशासन से की कार्रवाई की मांग
धनारी और आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने प्रशासन और बैंक अधिकारियों से इस गंभीर मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता रवि मिश्रा ने कहा, “जब सरकार और RBI कह रहे हैं कि ये सिक्के वैध हैं, तो दुकानदार इन्हें लेने से कैसे इनकार कर सकते हैं? प्रशासन को ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए और जनता को भी जागरूक करना चाहिए।”

समस्या राष्ट्रीय स्तर पर फैली
यह समस्या केवल सम्भल या धनारी क्षेत्र तक सीमित नहीं है। देश के कई हिस्सों से समय-समय पर इस प्रकार की घटनाएं सामने आती रही हैं। कई शहरों में भी ऐसी ही अफवाहों के कारण लोग 10 रूपये के सिक्के नहीं ले रहे हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे जनता में वित्तीय साक्षरता की कमी और सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक सूचनाएं प्रमुख कारण हैं।

क्या करें?
1. जानकारी फैलाएं: अपने परिवार, मित्रों और आस-पड़ोस के लोगों को RBI की आधिकारिक जानकारी बताएं।
2. सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों से बचें।
3. अगर कोई दुकानदार या संस्था वैध मुद्रा लेने से इनकार करे, तो इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन या बैंकिंग लोकपाल से करें
4. प्रशासन को चाहिए कि वह जन-जागरूकता अभियान चलाए, ताकि लोग सही जानकारी से लैस हों और अफवाहों से प्रभावित न हों।

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