बिहार में लोकतंत्र बनाम बंदूक: जनप्रतिनिधियों को आर्म्स लाइसेंस क्यों

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद आरा बिहार
आरा:बिहार में लोकतंत्र एक लंबे संघर्ष, जनभागीदारी और विकास की भावना पर खड़ा हुआ है। लेकिन हाल ही में आई एक खबर ने पूरे राज्य में लोकतांत्रिक सोच रखने वाले नागरिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। बिहार सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों – मुखिया, जिला परिषद सदस्य, सरपंच, वार्ड सदस्य, पंच आदि – को आर्म्स लाइसेंस देने की बात कही है। सवाल यह उठता है कि आख़िर पंचायत प्रतिनिधियों को बंदूक की ज़रूरत क्यों पड़ रही है?
लोकतंत्र का अर्थ जनसेवा या भय?
लोकतंत्र का मूल उद्देश्य है – संवाद, जनभागीदारी और शांति के साथ न्यायसंगत विकास। इसमें बंदूक या हथियारों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पंचायत प्रतिनिधि गांव की सरकार होते हैं। उनका काम जनता के बीच जाकर समस्याओं का समाधान करना, विकास कार्यों को गति देना और समाज में समरसता स्थापित करना होता है। लेकिन अगर अब उन्हें अपने काम के लिए बंदूक उठानी पड़े, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
सरकार की सोच या क़ानून व्यवस्था की विफलता
अगर सरकार को यह लग रहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों को सुरक्षा के लिए हथियार चाहिए, तो इसका सीधा मतलब है कि बिहार की क़ानून व्यवस्था कमजोर है।
क्या सरकार यह स्वीकार कर रही है कि वह अपने जनप्रतिनिधियों की रक्षा करने में असमर्थ है?
क्या यह निर्णय अपराधियों को खुली छूट देने जैसा नहीं है – कि अब जनप्रतिनिधि भी हथियार उठाने को मजबूर होंगे?
बंदूक से नहीं, भरोसे से चाहिए विकास
जनप्रतिनिधि अगर खुद को असुरक्षित महसूस करें और हथियार लेकर चलें, तो आम जनता में कैसा संदेश जाएगा? क्या फिर आम जनता भी हथियारों की ओर भागेगी?
लोकतंत्र में समस्याओं का समाधान संविधान, कानून और संवाद से होना चाहिए – न कि बंदूक से।
अगर पंचायत प्रतिनिधियों को धमकी मिलती है, तो उन्हें सुरक्षा दीजिए। लेकिन बंदूक देना इस समस्या का हल नहीं, बल्कि नई समस्याओं की शुरुआत है।
इससे पहले क्या हुआ?
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा हो। पहले भी कुछ जनप्रतिनिधियों ने सुरक्षा की मांग की है। लेकिन सरकार का इस तरह से सामूहिक रूप से आर्म्स लाइसेंस देने की बात कहना यह दर्शाता है कि राज्य में भय का माहौल है, जो किसी भी लोकतंत्र के लिए चिंताजनक स्थिति है।
बंदूक नहीं – भरोसा चाहिए।
डर नहीं – विकास चाहिए।
हथियार नहीं – हाथ में संविधान चाहिए।