केदारनाथ यात्रा मार्ग पर महिलाओं को मिला नया संबल: 148 महिला स्वयं सहायता समूहों को मिला रोजगार, प्रदेश सरकार की सशक्त पहल

देहरादून:उत्तराखंड सरकार द्वारा चारधाम यात्रा के अंतर्गत केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के साथ-साथ स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल की गई है। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 148 महिला स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups – SHGs) को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्रदान कर सरकार ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।
यह पहल न केवल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत, लोक उत्पादों और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान कर रही है।
महिलाएं निभा रहीं विविध भूमिकाएं
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर तैनात इन महिला समूहों की जिम्मेदारी केवल सीमित दायरे तक नहीं है। इन समूहों की महिलाएं प्रसाद निर्माण, फूल मालाएं, स्थानीय हस्तशिल्प, हर्बल उत्पाद, जैविक खाद्य सामग्री, पहाड़ी परिधान, पूजा सामग्री, स्थानीय व्यंजन व स्नैक्स आदि की बिक्री और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं।
इससे एक ओर जहां तीर्थयात्रियों को शुद्ध, स्थानीय और पारंपरिक उत्पादों की उपलब्धता हो रही है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को घर के पास रोजगार मिल रहा है, जिससे उनका आत्मविश्वास और सामाजिक पहचान भी बढ़ रही है।
स्थानीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था को भी लाभ
राज्य सरकार की इस योजना से उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती मिली है। महिला समूहों द्वारा तैयार की जा रही सामग्री स्थानीय कारीगरी और परंपराओं की जीवंत झलक पेश करती है। इससे यात्रियों को एक विशिष्ट अनुभव मिलता है और वे उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होते हैं।
इन उत्पादों की बिक्री से महिलाओं की आमदनी में वृद्धि हो रही है और इसके जरिए स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। यह मॉडल “लोकल फॉर वोकल” की भावना को साकार कर रहा है।
सरकार की नीति और समर्थन
उत्तराखंड सरकार लगातार महिला समूहों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और विपणन के अवसर प्रदान कर रही है। केदारनाथ यात्रा मार्ग जैसे व्यस्त धार्मिक रूट पर इन महिला समूहों की तैनाती एक रणनीतिक और दूरदर्शी निर्णय है। इसके माध्यम से राज्य ने यह दिखा दिया है कि विकास और सांस्कृतिक संवर्धन को एक साथ आगे बढ़ाया जा सकता है।
राज्य के ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण विभाग, जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों की संयुक्त पहल से यह योजना धरातल पर सफलतापूर्वक उतरी है। इन समूहों को प्रशिक्षण, आवश्यक संसाधन और व्यापारिक स्थान उपलब्ध कराने के साथ-साथ सरकार द्वारा नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
नारी शक्ति को मिली नई पहचान
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में महिलाओं की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। अब यह भूमिका केवल घरेलू कार्यों तक सीमित नहीं रही। सरकार की इस पहल ने उन्हें रोजगार, सम्मान और आत्मनिर्भरता के नए अवसर दिए हैं। केदारनाथ यात्रा जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक स्थल पर इन महिलाओं की उपस्थिति, उत्तराखंड की बदलती सामाजिक तस्वीर को उजागर करती है।
यात्रियों का भी मिल रहा समर्थन
यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु भी इन महिला समूहों द्वारा निर्मित वस्तुओं को खूब पसंद कर रहे हैं। शुद्धता, गुणवत्ता और स्थानीयता की गारंटी के चलते इन उत्पादों की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। कई श्रद्धालु तो इन उत्पादों को घर ले जाकर दूसरों को भी उत्तराखंड की संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर उत्तराखंड का सशक्त कदम
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 148 महिला स्वयं सहायता समूहों को रोजगार देकर उत्तराखंड सरकार ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह योजना न केवल स्थानीय महिलाओं की आय का स्रोत बनी है, बल्कि इससे राज्य की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति को भी नया संबल मिला है।
यह पहल आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है, जहां विकास के साथ-साथ समाज के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ—नारी शक्ति—को आगे बढ़ाने का संकल्प हो।