महिला सिपाही ने दारोगा से रचाई शादी, पंचायत ने सुनाया ‘गुनाह’ का फरमान लगाया 20 लाख का जुर्माना, किया सामाजिक बहिष्कार

Report By: विशेष संवाददाता
झांसी:झांसी जनपद के टोडी फतेहपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बचेरा से एक दिल दहला देने वाली और चिंताजनक घटना सामने आई है। यहां एक महिला सिपाही द्वारा एक दारोगा से प्रेम विवाह करना न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए मुसीबत बन गया है। मामला तब और गंभीर हो गया जब इस विवाह को लेकर गांव की पंचायत ने परिवार पर 20 लाख रुपये का जुर्माना ठोंकते हुए उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया।
महिला सिपाही ने दारोगा से अंतरजातीय विवाह किया है, जिसे गांव की पंचायत ने ‘परंपरा के विरुद्ध’ मानते हुए न सिर्फ विवाह को अमान्य करार दिया, बल्कि उसका सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया है। पंचायत के इस कठोर निर्णय में यह भी कहा गया है कि यदि महिला सिपाही गांव में कदम रखती है तो उसे जूते मारकर बाहर निकाल दिया जाएगा।
पंचायत के फरमान में ये सख्त आदेश शामिल हैं:
परिवार पर ₹20 लाख का जुर्माना लगाया गया है।
कोई भी व्यक्ति अगर महिला सिपाही या उसके परिवार के संपर्क में आता है तो उस पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
परिवार को गांव की किसी भी दुकान से सामान खरीदने की अनुमति नहीं है।
पानी भरने से लेकर सार्वजनिक सुविधाओं तक सब कुछ बंद कर दिया गया है।
सामाजिक स्तर पर परिवार को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया गया है।
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस मामले की शिकायत सबसे पहले स्थानीय थाने में की गई थी, लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। जब मामले ने तूल पकड़ा और पीड़िता ने सीधे जिलाधिकारी से मिलकर गुहार लगाई, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया और संबंधित धाराओं में FIR दर्ज की गई।
गांव में तनाव, पुलिस बल तैनात
गांव में हालात को बिगड़ने से रोकने के लिए प्रशासन ने एहतियातन पुलिस बल तैनात कर दिया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अंतरजातीय विवाह अब भी सामाजिक कलंक?
यह घटना एक बार फिर समाज में फैले जातिगत भेदभाव और महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर गहरे सवाल खड़े करती है। एक शिक्षित महिला सिपाही, जो कानून की रक्षा की शपथ लेती है, जब वह अपनी मर्जी से शादी करती है तो खुद कानून को अपने हाथ में लेने वाली पंचायत उसे ‘अपराधी’ बना देती है।
मानवाधिकार हनन का मामला
कानूनी जानकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मामला सीधा मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा है। किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह किसी जाति या वर्ग से हो, अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान देता है। पंचायत द्वारा इस प्रकार का सामाजिक बहिष्कार और आर्थिक दंड न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अमानवीय भी है।