पचरुखिया में शिवचर्चा के साथ आयोजित महिला चौपाल बनी प्रेरणा का केंद्र

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)
आरा, बड़हरा प्रखंड सामाजिक बदलाव की दिशा में निरंतर सक्रिय बड़हरा प्रखंड की बेटी सोनाली सिंह ने एक बार फिर से नारी सशक्तिकरण की ओर एक उल्लेखनीय पहल करते हुए पचरुखिया गांव में एक अनोखे आयोजन की मिसाल पेश की। शिवचर्चा कार्यक्रम के साथ-साथ उन्होंने एक महिला चौपाल का आयोजन किया, जो महिलाओं के लिए न सिर्फ जागरूकता का मंच बना, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मबल की प्रेरणा का स्रोत भी साबित हुआ।
इस विशेष आयोजन की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजन और शिवचर्चा से हुई, जिसमें भारी संख्या में ग्रामीण महिलाएं, युवतियां और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुईं। सभी ने भजन-कीर्तन के माध्यम से सामूहिक ऊर्जा और आस्था का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में सोनाली सिंह का पगड़ी बांध कर भव्य स्वागत किया गया, जो नारी नेतृत्व को सम्मान देने की दिशा में एक सांकेतिक और प्रेरक पहल रही।
महिला चौपाल: अधिकारों और आत्मनिर्भरता की बात
महिला चौपाल के दौरान सोनाली सिंह ने उपस्थित महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों, स्वास्थ्य, शिक्षा, आत्मरक्षा, स्वरोजगार और सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु की जा रही पहलों का उल्लेख किया।
अपने संबोधन में सोनाली सिंह ने कहा, “यदि गांव की महिलाएं शिक्षित और जागरूक होंगी तो पूरा समाज मजबूत होगा। आज की महिला किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है — बस जरूरत है सही मार्गदर्शन और सहयोग की।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आयोजन महज एक शुरुआत है और आगे वे कई अन्य गांवों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर महिला उत्थान की मुहिम को और तेज करेंगी।
साड़ी वितरण ने बढ़ाया सम्मान और आत्मबल
महिला चौपाल के समापन पर सोनाली सिंह और उनकी टीम ने को बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ। साड़ी प्राप्त कर महिलाएं काफी खुश नजर आईं और उन्होंने सोनाली सिंह को आशीर्वाद देते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों की उम्मीद जताई।
शिवचर्चा बनी सामाजिक बदलाव का माध्यम
महिलाओं ने साझा किया कि ग्रामीण महिलाएं सामाजिक रूप से अधिक जागरूक और सशक्त बन सकें।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने सोनाली सिंह के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि, “ऐसे आयोजन गांवों की सोच और तस्वीर दोनों बदल सकते हैं। जब महिलाएं संगठित होती हैं, तो बदलाव स्वतः आने लगता है।” उन्होंने महिला चौपाल को सामाजिक परिवर्तन की ओर उठाया गया साहसी और जरूरी कदम बताया।
पचरुखिया गांव में आयोजित यह शिवचर्चा और महिला चौपाल न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक चेतना का प्रतीक बन गई है। सोनाली सिंह का यह प्रयास यह सिद्ध करता है कि यदि संकल्प