योगी आदित्यनाथ का समाजवादी पार्टी पर तीखा प्रहार: जिन्ना-बाबर के महिमामंडन और राणा सांगा के अपमान पर सवाल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब पूरा देश सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर रन फॉर यूनिटी के जरिए एकता का संदेश दे रहा था, तब समाजवादी पार्टी देश तोड़ने वाले मोहम्मद अली जिन्ना और मुगल आक्रांता बाबर का महिमामंडन कर रही थी। योगी ने मेवाड़ के वीर योद्धा राणा सांगा के अपमान को भी शर्मनाक और समाजवादी पार्टी की तुष्टिकरण की राजनीति का नमूना बताया। यह बयान उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नए विवाद को जन्म दे सकता है।
लखीमपुर खीरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर जाति के नाम पर समाज को बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब देश रन फॉर यूनिटी मना रहा था, तब समाजवादी पार्टी जिन्ना का गुणगान कर रही थी। बाबर जैसे आक्रांताओं का महिमामंडन करना न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह उनकी तुष्टिकरण की राजनीति को उजागर करता है।” योगी ने समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के उस बयान पर भी कड़ा ऐतराज जताया, जिसमें सुमन ने राणा सांगा को “गद्दार” बताते हुए उन्हें बाबर को भारत लाने का जिम्मेदार ठहराया था।
राणा सांगा, जिन्हें मेवाड़ का गौरव और हिंदू एकता का प्रतीक माना जाता है, उनके खिलाफ सुमन के बयान ने राजपूत समाज और हिंदू संगठनों में आक्रोश पैदा कर दिया है। योगी ने कहा, “जिन्ना और औरंगजेब की पूजा करने वाले राणा सांगा जैसे वीर योद्धा की वीरता और बलिदान को क्या समझ सकते हैं? राणा सांगा ने खानवा के युद्ध में बाबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी। उनका अपमान पूरे हिंदू समाज का अपमान है।”
इस बयान के बाद आगरा में करणी सेना और अन्य राजपूत संगठनों ने सुमन के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों ने सुमन के आवास पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। करणी सेना ने सुमन से सार्वजनिक माफी की मांग की है और समाजवादी पार्टी के खिलाफ आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुमन के बयान का बचाव करते हुए बीजेपी पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। अखिलेश ने कहा, “हम किसी भी समाज का अपमान नहीं करना चाहते, लेकिन बीजेपी को इतिहास के पन्ने पलटने से बचना चाहिए।” उन्होंने आगरा में हुए प्रदर्शन को योगी आदित्यनाथ की शह पर हुआ हमला करार दिया, क्योंकि उस समय योगी आगरा में ही मौजूद थे।
इसके जवाब में बीजेपी के प्रवक्ता संजीव बालियान ने कहा, “समाजवादी पार्टी का यह बयान न केवल राजपूत समाज, बल्कि पूरे हिंदू समाज के गौरव पर चोट है। उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।” बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और हिंदू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
योगी ने अपने संबोधन में रन फॉर यूनिटी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने देश को एकजुट करने का जो सपना देखा था, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साकार किया जा रहा है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को भी एकता का प्रतीक बताया। योगी ने कहा, “राम मंदिर का निर्माण न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर की जीत है, बल्कि यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करता है। लेकिन कुछ लोग अभी भी बंटवारे की मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं।”
इतिहासकारों ने इस विवाद पर मिश्रित राय दी है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि राणा सांगा ने 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर के खिलाफ युद्ध लड़ा था और उन्हें भारत बुलाने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। प्रोफेसर हर्षवर्धन सिंह, जो मध्यकालीन भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ हैं, ने कहा, “राणा सांगा का बाबर को भारत बुलाने का दावा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। यह एक गलत बयानी है।” वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस तरह के बयान राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश हैं।
यह विवाद उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गर्मी बढ़ा सकता है। राजपूत समाज, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है, इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के खिलाफ लामबंद हो सकता है। वहीं, बीजेपी इस मुद्दे को हिंदू गौरव और एकता के प्रतीक के रूप में भुनाने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। राणा सांगा के अपमान और जिन्ना-बाबर के महिमामंडन के आरोप ने उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि समाजवादी पार्टी इस विवाद से कैसे निपटती है और क्या यह मुद्दा आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।