हिंद दी चादर” नाटक का देहरादून में भव्य मंचन गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान की गूंज

Report By: उत्तराखंड डेस्क

देहरादून:उत्तराखंड सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी एवं श्री गुरु तेग बहादुर चैरिटेबल चिकित्सालय के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को देहरादून में “हिंद दी चादर” नामक नाटक का भव्य मंचन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं था, बल्कि यह हमारे गौरवशाली इतिहास और सनातन मूल्यों को जनमानस के समक्ष पुनर्जीवित करने का प्रयास भी था।
यह नाटक, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उमड़े, गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, त्याग और बलिदान पर आधारित था। गुरु जी को “हिंद दी चादर” — अर्थात “भारत की ढाल” — की उपाधि इसीलिए दी गई क्योंकि उन्होंने न केवल सिखों बल्कि समस्त भारतीय समाज, विशेषकर कश्मीरी पंडितों के धर्म और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

नाटक की भावनात्मक प्रस्तुति
नाटक का निर्देशन प्रसिद्ध रंगकर्मी  ने किया, और इसे कलाकारों ने अत्यंत प्रभावशाली रूप से मंचित किया। प्रस्तुति में गुरु तेग बहादुर जी के आध्यात्मिक जीवन, उनके उपदेश, और औरंगज़ेब के धार्मिक दमन के विरुद्ध उनके अद्वितीय प्रतिरोध को नाटकीय शैली में प्रस्तुत किया गया।
नाटक का एक-एक दृश्य दर्शकों के हृदय को छू गया। जब मंच पर गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, तो सभागार में उपस्थित कई दर्शकों की आंखें नम हो गईं। यह क्षण न केवल नाटकीय दृष्टि से प्रभावशाली था, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी गहरी छाप छोड़ने वाला था।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माध्यम
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज के दौर में जब समाज विविध प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में गुरु तेग बहादुर जी का जीवन हमें सत्य, सहिष्णुता और धार्मिक स्वतंत्रता की वास्तविक परिभाषा समझाने वाला प्रकाशस्तंभ बनता है। उनके बलिदान की गाथा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय थी।
उत्तराखंड सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजनों का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपने इतिहास और संस्कृति से जोड़ना है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले समय में इस नाटक का मंचन राज्य के अन्य भागों में भी किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इस महान गाथा से प्रेरणा प्राप्त कर सकें।

गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान  सम्पूर्ण मानवता के लिए संदेश
गुरु तेग बहादुर जी ने न केवल धर्म की रक्षा के लिए, बल्कि मानवता के मूल अधिकार — धार्मिक स्वतंत्रता — के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनका संदेश स्पष्ट था: जब सत्य संकट में हो, तब केवल मौन पर्याप्त नहीं होता; बलिदान ही धर्म की रक्षा करता है।
इस आयोजन ने दर्शकों को यह सोचने पर विवश किया कि आज के दौर में भी गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं कितनी महत्वपूर्ण हैं। जब सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आघात होता है, तब उनके आदर्श हमें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

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