भारत में ऐतिहासिक (Tax Reform): आयकर और (GST) दोनों में बड़े कटौती से नई आर्थिक दिशा की शुरुआत

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
भारत सरकार ने देश के हालिया इतिहास में एक ऐसा आर्थिक निर्णय लिया है जिसने न केवल देश की (Taxation System) की दिशा बदली है, बल्कि आम नागरिकों से लेकर कारोबारी जगत तक नई ऊर्जा का संचार किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने संसद में ऐलान करते हुए बताया कि भारत ने पहली बार एक ही वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष (Direct Tax) और अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) दोनों में व्यापक कटौती की है। यह ऐतिहासिक कदम न केवल वित्तीय नीति में सुधार का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि सरकार अब ‘Ease of Living’ और ‘Ease of Doing Business’ को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही वित्तीय वर्ष के भीतर आयकर (Income Tax) और वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) दोनों को इतने बड़े पैमाने पर घटाया गया हो। उनका कहना था कि यह निर्णय एक साधारण कर राहत नहीं, बल्कि एक व्यापक आर्थिक दृष्टि है जो देश की (Economic Growth) को गति देने और (Consumption Demand) को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।
केंद्रीय बजट 2025 (Union Budget 2025) में घोषित आयकर कटौती ने करोड़ों मध्यम वर्गीय और वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए राहत लेकर आई। अब नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत 12 लाख रुपये (Rs 12 Lakh) तक की वार्षिक आय पूरी तरह कर-मुक्त (Tax-Free) है, जबकि वेतनभोगी वर्ग के लिए मानक कटौती (Standard Deduction) जोड़ने के बाद यह सीमा 12.75 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। सरकार का अनुमान है कि इस परिवर्तन से लगभग एक करोड़ (1 Crore) करदाताओं को सीधे लाभ होगा और करीब 89 प्रतिशत वेतनभोगी अब कोई आयकर नहीं देंगे।
इसके साथ ही, आयकर दरों (Tax Rates) में भी ढांचा बदला गया है, जिससे मध्यम आय वर्ग को अतिरिक्त लाभ मिला है। उदाहरण के तौर पर, 18 लाख रुपये वार्षिक आय वाले को लगभग 70,000 रुपये की सालाना बचत होगी, जबकि 25 लाख रुपये कमाने वालों को करीब 1.1 लाख रुपये की कर राहत मिलेगी। यह न केवल व्यक्तियों की (Disposable Income) को बढ़ाएगा बल्कि घरेलू बाजार में (Spending Capacity) में भी वृद्धि करेगा।
निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि यह वही देश है, जहां कभी आयकर की दरें 95 प्रतिशत तक पहुंच जाया करती थीं। उन्होंने इस बदलाव को उस “नई आर्थिक सोच” का प्रमाण बताया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लाना चाहती है – जिसमें करदाताओं पर बोझ कम हो, निवेशक वातावरण (Investment Climate) अधिक आकर्षक बने, और कर प्रणाली (Tax System) पारदर्शी रह सके।
सितंबर में (GST Council) की बैठक ने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली यानी जीएसटी में भी बड़ा बदलाव किया। पहले की चार दरों — 5%, 12%, 18%, और 28% — को समेटकर अब दो मुख्य दरें रखी गई हैं: 5% और 18%। इसके अलावा लग्जरी और ‘Sin Goods’ जैसे महंगी कारें, तंबाकू, और एरेटेड ड्रिंक्स पर 40 प्रतिशत की नई दर लागू की गई है।
इस नयी दर संरचना ने आम उपभोक्ता वस्तुओं (Consumer Goods) को और किफायती बना दिया है। उदाहरण के तौर पर, एयर कंडीशनर, टेलीविज़न, छोटी कारें और मोटरसाइकिलें अब 28 प्रतिशत की बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी दर पर आएंगी। वहीं, साबुन, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट और चॉकलेट जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं अब 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत स्लैब में लाई गई हैं।
सरकार का अनुमान है कि इस (GST Rationalization) से राजस्व पर लगभग 48,000 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा। हालांकि, वित्त मंत्री का कहना है कि बढ़ती खपत (Consumption Growth) के चलते यह घाटा इसी वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया को दिए बयान में कहा, “हमारा विश्वास है कि जो कर राजस्व का हानि अनुमान है, उसे बढ़ते उपभोग और आर्थिक प्रवाह से काफी हद तक संतुलित किया जा सकेगा।”
इन दोनों बड़े सुधारों का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, और कई देशों में मुद्रास्फीति (Inflation) और मंदी (Recession) के संकेत हैं, तब भारत ने घरेलू मांग के सहारे एक आत्मविश्वासी नीतिगत रुख अपनाया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का आर्थिक विकास दर (GDP Growth Rate) 8.2 प्रतिशत रही है, जो विश्व में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है।
इसके बावजूद कुछ चिंताएँ बनी हुई हैं — मसलन, नाममात्र जीडीपी वृद्धि (Nominal GDP Growth) अपेक्षाकृत धीमी है, जिससे कर संग्रह (Tax Collection) पर दबाव पड़ सकता है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उपभोक्ता व उद्योग क्षेत्र के विश्वास (Business Sentiment) को बढ़ाने के लिए कर कटौती पर जोर दिया है।
निर्मला सीतारमण ने 6 दिसंबर को (Hindustan Times Leadership Summit) में कहा कि अब सरकार का अगला फोकस (Customs Duty Reform) पर होगा। उन्होंने कहा, “अब वही सादगी और पारदर्शिता हमें (Customs) में लानी होगी जो हमने (GST) और आयकर में दिखाई है।” इससे स्पष्ट है कि सरकार व्यापक (Tax Simplification) की दिशा में अग्रसर है।
वित्त मंत्री के अनुसार, भारत की कर प्रणाली में पिछले एक दशक में जो बदलाव लाए गए हैं, वे न केवल दरों को घटाने के लिए हैं, बल्कि अनुपालन (Compliance) को आसान तथा भ्रष्टाचार (Corruption) को खत्म करने के लिए भी किए गए हैं। डिजिटल टैक्स पोर्टल (Income Tax e-Filing Portal), जीएसटी नेटिव प्लैटफ़ॉर्म (GSTN System) और अब फेसलेस असेसमेंट (Faceless Assessment) जैसे तंत्र ने करदाताओं को एक पारदर्शी व सहज वातावरण दिया है।
उन्होंने कहा कि राजस्व संग्रह की जिम्मेदारी हर वित्त मंत्री की होती है, क्योंकि उसी से देश की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है। “लेकिन इस सरकार ने बार-बार यह दिखाया है कि राजस्व बढ़ोतरी के बजाय नागरिकों की सुविधा को प्राथमिकता दी जा सकती है, और यही नई वित्तीय नीति (Fiscal Policy) की पहचान होगी।”
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इन सुधारों से अल्पकाल में राजस्व में कमी तो आ सकती है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव बेहद सकारात्मक रहेंगे। अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद विरमानी का कहना है कि जब लोगों के पास अधिक खर्च योग्य आय (Purchasing Power) आएगी, तो बाजार की गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार (Employment Generation) में भी सुधार होगा। “यह (Tax Reform) उपभोग-आधारित विकास मॉडल की एक महत्वपूर्ण कड़ी है,” उन्होंने कहा।
एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि इन सुधारों से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) को भी ताकत मिल सकती है। जब खपत का दबाव खेतों व छोटे उद्योगों तक पहुंचेगा, तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग बढ़ेगी। इससे एमएसएमई (MSME Sector) और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
राजनीतिक दृष्टि से भी यह कदम सरकार के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि यह आम जनता की जेब में सीधे राहत पहुंचाता है। विपक्षी दलों ने भले ही इस सुधार को “पूर्वनिर्धारित चुनावी रणनीति” कहा हो, मगर तर्क यह भी है कि व्यापक कर सुधार (Comprehensive Tax Reform) किसी भी तत्काल राजनीतिक लाभ से कहीं अधिक एक दीर्घकालिक आर्थिक दृष्टि का संकेत देता है।
वित्तीय अनुशासन (Fiscal Discipline) बनाए रखना सरकार के लिए आने वाले महीनों में बड़ी चुनौती होगी। राजस्व में कमी के बावजूद सरकार ने बुनियादी ढांचे (Infrastructure Investment) में खर्च बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम घाटे को नियंत्रित करते हुए विकास को बढ़ावा देने की नीति पर कायम रहेंगे। ये सुधार उसी दिशा में एक रणनीतिक कदम हैं।”
इसके अतिरिक्त, सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले बजट सत्र में कर प्रशासन (Tax Administration) को और सरल बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रावधान भी लाए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, जीएसटी रिटर्न प्रोसेसिंग (GST Filing System) को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI Based Matching) से जोड़ने, और आयकर स्क्रूटनी को पूरी तरह डिजिटल बनाने की तैयारी चल रही है।
अगर विशेषज्ञों की राय देखें तो यह सुधार भारत के “विकास के अगले दशक” की नींव रख सकता है। इससे निवेशकों का विश्वास (Investor Confidence) बढ़ेगा, विदेशी निवेश (FDI Inflow) को प्रोत्साहन मिलेगा और घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता (Competitiveness) और मज़बूत होगी।
इन सबके बीच एक और चर्चा बनी हुई है—क्या यह सुधार भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर (5 Trillion Dollar Economy) लक्ष्य को हासिल करने का जरूरी परिवर्तन साबित होगा? वित्त मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेज बताते हैं कि अगर अर्थव्यवस्था इसी रफ्तार से वृद्धि करती रही और उपभोग में 8-10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि बनी रहती है, तो अगले चार से पांच वर्षों में यह लक्ष्य व्यावहारिक (Practical) रूप से संभव है।
अंततः, भारत के कर सुधारों की यह श्रृंखला केवल करदाताओं की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि देश के आर्थिक ढांचे (Economic Architecture) को स्थायी रूप से सुदृढ़ करने की दिशा में कदम है। यह उन सिद्धांतों पर आधारित है जो 21वीं सदी के भारत को आत्मनिर्भर, प्रतिस्पर्धी और समावेशी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर करते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वक्तव्य को यथार्थवादी अंदाज में समाप्त करते हुए कहा, “करदाताओं का भरोसा ही देश की अर्थव्यवस्था की नींव है। जब नागरिकों को यह भरोसा होगा कि उनकी मेहनत की कमाई सरकार द्वारा जिम्मेदारी से उपयोग की जा रही है, तभी एक सशक्त और विश्वसनीय भारत का निर्माण संभव है।”





