मोहम्दाबाद ब्लॉक के सरायबहादुर में मनरेगा घोटाले का पर्दाफाश, एक ही मजदूर दो जगह कार्यरत दिखाकर फर्जी हाजिरी और भुगतान का आरोप

Report By : आसिफ अंसारी

गाज़ीपुर : विकासखंड मोहम्मदाबाद (Mohammadabad Block) के अंतर्गत ग्राम पंचायत सरायबहादुर (Sarai Bahadur Gram Panchayat) में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा (MGNREGA) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत में इन दिनों चल रहे दो मिट्टी कार्यों में दस्तावेजों और जमीनी हकीकत के बीच गंभीर अंतर पाया गया है, जिससे पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में कार्य चल रहा है, मजदूरों की हाजिरी लगाई जा रही है और भुगतान (Payment) भी कराया जा रहा है, जबकि वास्तविकता में पिछले कई दिनों से कार्य पूरी तरह बंद है।

जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत सरायबहादुर में दो अलग-अलग चकबंद निर्माण कार्य (Consolidation Work) दर्ज हैं। पहला कार्य दिनेश के खेत से सुरेश के खेत तक तथा दूसरा कार्य सुसरा विसर्जन के खेत से रामविलास के खेत तक दर्शाया गया है। इन कार्यों के लिए वर्क कोड (Work Code) क्रमशः 5654 और 5647 अंकित हैं, जबकि मस्टर रोल (Muster Roll) नंबर 2616 से 2624 तक जारी किए गए हैं। दस्तावेजों में इन दोनों कार्यों पर बड़ी संख्या में मजदूरों की उपस्थिति दिखाई गई है, लेकिन मौके पर स्थिति इससे बिल्कुल उलट बताई जा रही है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि दोनों मस्टर रोल में एक ही मजदूर (Same Labour) की उपस्थिति दो अलग-अलग कार्य स्थलों पर एक ही समय में दर्ज की गई है। सवाल यह उठता है कि एक व्यक्ति एक साथ दो अलग-अलग स्थानों पर कैसे कार्य कर सकता है। इसके बावजूद दोनों कार्यों में कुल मिलाकर करीब 90 मजदूरों की हाजिरी दर्शाई गई है, जो बड़े स्तर पर हेराफेरी (Fraud) की ओर इशारा करती है। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल कागजी खेल है, जिससे सरकारी धन (Public Money) का दुरुपयोग किया जा रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बीते लगभग एक सप्ताह से मनरेगा का कोई भी कार्य धरातल पर नहीं हो रहा है। इसके बावजूद रोजगार सेवक (Rozgar Sevak) की कथित मिलीभगत से मस्टर रोल में लगातार मजदूरों की हाजिरी भरी जा रही है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कई मजदूरों को यह तक नहीं पता कि उनके नाम पर कितने दिनों की हाजिरी दर्ज कर दी गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मजदूरों की जानकारी के बिना ही उनके नाम का इस्तेमाल कर भुगतान निकाला जा रहा है।

जब इस पूरे मामले को लेकर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि (Gram Pradhan Representative) से बात की गई तो उन्होंने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा कि इस संबंध में रोजगार सेवक से जानकारी ली जाए। उनके इस टालमटोल भरे रवैये ने भी संदेह को और गहरा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ग्राम पंचायत स्तर पर सब कुछ सही होता तो प्रधान प्रतिनिधि को स्पष्ट जवाब देना चाहिए था।

वहीं, जब रोजगार सेवक से इस विषय में सवाल किया गया तो उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि पिछले चार दिनों से मनरेगा का कार्य बंद है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब कार्य बंद है तो मस्टर रोल में हाजिरी कैसे और किसके आदेश पर भरी जा रही है। यह स्थिति न केवल रोजगार सेवक की भूमिका पर सवाल खड़े करती है, बल्कि पूरे विकासखंड की निगरानी व्यवस्था (Monitoring System) को भी कटघरे में खड़ा करती है।

इस मामले के सामने आने के बाद खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer – BDO) की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जी हाजिरी और भुगतान बिना उच्च स्तर के संरक्षण (Higher Level Protection) के संभव नहीं है। यदि समय रहते जांच होती और निगरानी तंत्र मजबूत होता तो इस तरह की अनियमितताएं सामने ही नहीं आतीं।

ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच (High Level Inquiry) की मांग की है। उनका कहना है कि मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना गरीबों और ग्रामीण मजदूरों को रोजगार देने के लिए बनाई गई है, लेकिन कुछ जिम्मेदार लोगों की मिलीभगत से इसे भ्रष्टाचार का जरिया बना दिया गया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई (Strict Action) की जाए और फर्जी भुगतान की रिकवरी कराई जाए।

कुल मिलाकर, ग्राम पंचायत सरायबहादुर में सामने आया यह मामला मनरेगा योजना में पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) की पोल खोलता नजर आ रहा है। यदि समय रहते प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो इससे न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता प्रभावित होगी, बल्कि वास्तविक जरूरतमंद मजदूरों का हक भी मारा जाएगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर आरोप पर क्या कार्रवाई करता है और क्या दोषियों को कानून के दायरे में लाया जाता है या नहीं।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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