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पंजाब में पिछली बार की तुलना में इस बार हुई कम वोटिंग, क्या इससे हो पाएगा किसी पार्टी को फायदा ?

पंजाब में 117 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में बहुकोणीय मुकाबले में कुल मतदान लगभग 71.95 प्रतिशत रहा. मालवा क्षेत्र में आने वाले कई जिलों में 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ.

पंजाब में इस बार 2017 विधानसभा की तुलना में कम वोटिंग हुई है. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 77.4 फीसदी रहा था. जबकि 2002, 2007 और 2012 में मतदान प्रतिशत क्रमश: 65.14 फीसदी, 75.45 फीसदी और 78.20 फीसदी दर्ज किया गया था.

पंजाब में इस बार कम वोटिंग से जानकार अंदाजा नहीं लगा पा रहे कि इससे किस पार्टी को फायदा होगा. यहां हमेशा कांग्रेस और बीजेपी-अकाली दल गठबंधन की टक्कर होती रही है.

अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है. किसान आंदोलन से जुड़े कुछ नेताओं ने अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया है. इसी वजह से जानकार कह रहे हैं कि पंजाब में किसी एक पार्टी की लहर नजर नहीं आ रही है.

हालांकि पंजाब में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बीच है. अकाली दल साल 2020 में बीजेपी के साथ दो दशक पुराने संबंध तोड़ने के बाद बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी है.

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