पोते ने हरिद्वार से लाए गंगाजल से दादा-दादी एवं माता-पिता को कराया स्नान, दिया सम्मान का अनूठा संदेश

Report By : राहुल मौर्य
रामपुर मसवासी : महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए श्रद्धा, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व शिवभक्त विभिन्न तरीकों से मनाते हैं—कुछ हवन-पूजन करते हैं, तो कुछ हरिद्वार व अन्य पवित्र तीर्थस्थलों से गंगाजल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। इस कड़ी में नगर पंचायत मसवासी के चाऊपुरा निवासी नितिन मौर्य ने एक अनूठी मिसाल पेश की।
उन्होंने महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर हरिद्वार से कांवर में गंगाजल लाकर अपने दादा-दादी और माता-पिता को स्नान कराया। उनका यह कार्य न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है बल्कि समाज में बुजुर्गों और माता-पिता के सम्मान का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी पेश करता है।
माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान सर्वोपरि
भारतीय संस्कृति में माता-पिता और बुजुर्गों का आदर सर्वोपरि माना गया है। वेदों, शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि माता-पिता की सेवा और सम्मान करना देवताओं की पूजा से भी श्रेष्ठ होता है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य बनाने का कारण भी यही था कि उन्होंने सबसे पहले अपने माता-पिता की परिक्रमा की थी। इसी धार्मिक मान्यता को नितिन मौर्य ने अपने कार्य से सिद्ध कर दिखाया।
गंगाजल का महत्व और धार्मिक आस्था
गंगा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। गंगाजल का उपयोग न केवल पूजा-पाठ में किया जाता है, बल्कि इसे मोक्षदायिनी भी माना जाता है। महाशिवरात्रि पर गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नितिन मौर्य ने इसी आस्था के साथ गंगाजल लाकर अपने बुजुर्गों को स्नान कराया और धर्म, भक्ति और सम्मान का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
समाज को दिया संदेश
नितिन मौर्य के इस कार्य ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया कि हमें अपने माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। आधुनिक युग में जब बुजुर्गों की उपेक्षा की घटनाएं सामने आती हैं, ऐसे में इस तरह की पहल समाज को नई दिशा दिखाती है।
महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर नितिन मौर्य का यह कार्य भक्ति, श्रद्धा और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि बुजुर्गों और माता-पिता की सेवा ही सच्ची पूजा और भक्ति है। उनके चरणों में गंगाजल अर्पित करके न केवल वे प्रसन्न होते हैं, बल्कि ईश्वर का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।