जैन महाविद्यालय में अवैध वसूली का मामला उजागर, प्राचार्य ने दिए पैसे वापस करने के आदेश

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद
आरा बिहार : जैन महाविद्यालय में स्नातकोत्तर सत्र 2023-25 के छात्रों से अवैध रूप से वसूली गई राशि को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। यह मामला तब सामने आया जब विद्यार्थी परिषद और इतिहास विभाग के छात्रों ने मिलकर इस मुद्दे को उजागर किया। महाविद्यालय में प्रमोटेड छात्रों से गैर-कानूनी रूप से शुल्क वसूला जा रहा था, जो नियमों के विरुद्ध था।
जानकारी के अनुसार, जिन छात्रों के विषयों में प्रैक्टिकल नहीं था, उनसे 160 रुपए और जिनके विषयों में प्रैक्टिकल था, उनसे 260 रुपए अतिरिक्त वसूले गए थे। यह पैसे छात्रों से बिना किसी आधिकारिक सूचना या रसीद के लिए गए थे, जिससे छात्रों में भारी नाराजगी थी।
इस अवैध वसूली के खिलाफ सबसे पहले जैन कॉलेज के इतिहास विभाग के छात्रों ने आवाज उठाई। उन्होंने लगातार कॉलेज प्रशासन से इस बारे में शिकायत की और सभी छात्रों से लिए गए पैसे वापस करने की मांग की। जैसे ही यह मामला विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं तक पहुंचा, उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और कॉलेज प्राचार्य से मुलाकात की।
विद्यार्थी परिषद ने इस अवैध वसूली की जानकारी प्राचार्य को दी और उनसे तत्काल कार्रवाई की मांग की। परिषद की मांगों को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य ने तत्काल प्रभाव से अवैध वसूली में शामिल कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया। साथ ही सभी छात्रों को लिए गए पैसे वापस करने का निर्देश भी दिया।
प्राचार्य ने इस बात का भी आश्वासन दिया कि आगे से इस तरह की कोई भी अवैध वसूली नहीं की जाएगी और यदि ऐसा होता है तो महाविद्यालय प्रशासन उसकी पूरी जिम्मेदारी लेगा।
इस पूरी कार्रवाई में विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक अनूप सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य निखिल राज, कॉलेज मंत्री रोहित नरेश, राज तिवारी, विष्णु, विद्या निवास, निखिल सिंह, अभिषेक सिंह, अभिमन्यु सिंह, रितेश उपाध्याय और इतिहास विभाग के छात्र अमरजीत सिंह आलोक, हिमांशु रंजन, अमर गुप्ता, अविनाश कुमार समेत अन्य छात्र कार्यकर्ता शामिल रहे।
इस प्रयास से न सिर्फ छात्रों को उनका हक वापस मिला, बल्कि कॉलेज में पारदर्शिता बनाए रखने की एक सकारात्मक मिसाल भी कायम हुई। विद्यार्थी परिषद और छात्रों की एकजुटता ने यह साबित कर दिया कि जब छात्र संगठित होकर सही के लिए आवाज उठाते हैं, तो बदलाव संभव है।