AC Emissions: आधा भारत नहीं जानता AC का ये कड़वा सच, 1 घंटे तक चलाने पर इतना उगलता है जहर

Report By: टेक डेस्क
गर्मियों में एसी (AC) अब केवल लग्जरी नहीं, बल्कि ज़रूरत बन चुका है। शहरों से लेकर गांवों तक, हर कोई चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए एसी का सहारा लेता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर घंटे एसी चलाने पर वह आपके स्वास्थ्य और पर्यावरण को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है? अगर नहीं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए आंखें खोलने वाली साबित हो सकती है।
AC का बढ़ता चलन और खतरनाक साइड इफेक्ट
भारत में हर साल लाखों नए एयर कंडीशनर खरीदे जा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, देश में एसी की मांग में हर साल लगभग 15-20% की वृद्धि हो रही है। लेकिन इसका पर्यावरण पर जो असर हो रहा है, वह बेहद खतरनाक है।
एसी से निकलने वाली गैसें—जैसे हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)—धरती के तापमान को बढ़ाने में कार्बन डाइऑक्साइड से भी कई गुना ज्यादा घातक हैं। एक घंटे तक एक सामान्य 1.5 टन का एसी चलाने से औसतन 1.5 से 2 किलो तक CO2 जैसी गैसों के बराबर हानिकारक उत्सर्जन होता है। यह आंकड़ा अकेले भारत में लाखों टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बदल जाता है।
कैसे होता है नुकसान?
1. पर्यावरणीय प्रभाव:
एसी में इस्तेमाल होने वाली रेफ्रिजरेंट गैसें ओजोन परत को क्षति पहुंचाती हैं और ग्लोबल वॉर्मिंग का मुख्य कारण बनती हैं।
2. ऊर्जा की खपत:
एक औसत एसी हर घंटे करीब 1.5 यूनिट बिजली की खपत करता है। देश में लाखों एसी एक साथ चलने पर पावर ग्रिड पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे कोयला-आधारित पावर प्लांट ज्यादा काम करते हैं और अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
3. स्वास्थ्य पर असर:
लगातार एसी में रहने से त्वचा रूखी हो जाती है, श्वसन संबंधी दिक्कतें बढ़ती हैं और इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
भारत में स्थिति और भविष्य की चेतावनी
भारत पहले से ही जलवायु परिवर्तन की चपेट में है। देश के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री के पार जा चुका है। ऐसे में एसी की बढ़ती मांग और उससे निकलने वाला प्रदूषण मिलकर स्थिति को और बदतर बना रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में भारत के कई शहर “हॉट ज़ोन” में बदल जाएंगे, जहां सामान्य जीवन संभव नहीं होगा।
क्या है समाधान?
1. एनर्जी एफिशिएंट AC का इस्तेमाल: 5 स्टार रेटिंग वाले और इन्वर्टर टेक्नोलॉजी से लैस एसी चुनें जो कम बिजली खपत करते हैं।
2. ग्रीन रेफ्रिजरेंट: ऐसे एसी का चुनाव करें जिनमें R32 या अन्य पर्यावरण के अनुकूल गैसें इस्तेमाल होती हैं।
3. वैकल्पिक उपाय: एयर कूलर, छायादार निर्माण, सोलर पैनल, बेहतर वेंटिलेशन जैसे उपायों से गर्मी से राहत पाई जा सकती है।
4. सरकारी नीतियां: सरकार को सख्त नियम बनाने होंगे ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उपकरणों पर रोक लगाई जा सके।
एसी हमें चंद घंटों की राहत तो देता है, लेकिन दीर्घकाल में यह हमारी पृथ्वी, स्वास्थ्य और भावी पीढ़ियों के लिए ज़हर साबित हो रहा है। अब समय आ गया है कि हम जागरूक बनें और स्मार्ट चॉइस करें—क्योंकि राहत की यह ठंडी हवा आने वाले कल को और गर्म बना रही है।