गाजीपुर में बिजली विभाग के जेई का ऑडियो वायरल, जातिसूचक शब्दों पर मचा बवाल
गाजीपुर: विद्युत वितरण खंड (प्रथम) के जंगीपुर सब डिविजन के हंसराजपुर उपकेंद्र के जूनियर इंजीनियर (जेई) अनिल कुमार का जातिसूचक अपशब्दों वाला ऑडियो वायरल होने के बाद बवाल खड़ा हो गया है। ऑडियो में जेई अनिल कुमार पर कथित तौर पर ब्राह्मण, राजपूत और अन्य सवर्ण जातियों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है। इस मामले ने गाजीपुर में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है।
ऑडियो वायरल, प्रदर्शनकारी सड़कों पर
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस ऑडियो में जेई अनिल कुमार अपने परिचित से बात करते हुए कथित तौर पर सवर्ण जातियों के खिलाफ अपमानजनक बातें करते सुने गए। उन्होंने जाति के आधार पर बिजली की आपूर्ति रोकने और दंडात्मक कार्रवाई करने जैसी बातें कही। इस ऑडियो के वायरल होने के बाद गाजीपुर के शाहपुर और हंसराजपुर विद्युत उपकेंद्र पर स्थानीय लोग भारी संख्या में जुट गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
एफआईआर और निलंबन की मांग
प्रदर्शनकारियों ने जेई अनिल कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की मांग की। प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि ऐसे पद पर बैठे सरकारी कर्मचारी जब जातिवाद को बढ़ावा देंगे, तो समाज में सामाजिक समरसता कैसे बनी रह सकती है?
विभागीय अधिकारियों का आश्वासन
प्रदर्शनकारी जनता से बातचीत के दौरान बिजली विभाग और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों का ज्ञापन स्वीकार करते हुए कहा कि जेई अनिल कुमार के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक समरसता पर सवाल
यह घटना सरकारी कर्मचारियों की भूमिका और सामाजिक समरसता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। प्रदर्शनकारी नागरिकों का कहना है कि सरकारी पदों पर बैठे लोग जब जातिगत भेदभाव करेंगे, तो यह समाज में विभाजन और तनाव को बढ़ावा देगा।
जनता की प्रतिक्रिया
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सरकारी कर्मचारी के रूप में उनका काम जाति, धर्म, और समुदाय से ऊपर उठकर सभी को समान रूप से सेवा देना है। इस तरह की सोच और व्यवहार न केवल उनके दायित्व का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज के लिए खतरनाक भी है।”
मामले की ताजा स्थिति
फिलहाल पुलिस प्रशासन और बिजली विभाग ने मामले को शांत करने के लिए प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में प्रशासन और विभागीय अधिकारी कितनी जल्दी और कितनी सख्त कार्रवाई करते हैं।
निष्कर्ष:
इस घटना ने सरकारी तंत्र में जातिवाद के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे समाज में और अधिक असंतोष फैल सकता है।