चित्रकूट, जोकि भारतीय संस्कृति और आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, नए साल के पहले दिन श्रद्धालुओं से भर गया। सर्द हवाओं और कड़ाके की ठंड के बावजूद, हजारों श्रद्धालु भगवान श्रीराम और हनुमान जी की तपोस्थली हनुमानधारा के दर्शन के लिए उमड़े। श्रद्धा और विश्वास का यह नजारा देखकर यह स्पष्ट होता है कि आस्था कभी मौसम की परवाह नहीं करती।
चित्रकूट का महत्व त्रेता युग से ही है। यह वही पावन स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में साढ़े 11 वर्ष बिताए थे। यह क्षेत्र श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण की तपस्या और संघर्ष का साक्षी रहा है। चित्रकूट का हर स्थान, हर वृक्ष, और हर नदी त्रेता युग की पवित्रता को अपने अंदर समेटे हुए हैं।
हनुमानधारा, जोकि चित्रकूट के विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, का नाम भगवान हनुमान की एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, जब भगवान हनुमान लंका दहन कर वापस लौटे, तो उनके शरीर में आग की तपन थी। उनकी यह पीड़ा देखकर भगवान श्रीराम ने उन्हें विंध्य पर्वत के देवांगना जंगल जाने का निर्देश दिया।
श्रीराम ने बताया कि वहां एक पहाड़ से बाण गंगा बहती है। उस स्थान पर जल की शीतलता और शांत वातावरण से हनुमान को राहत मिलेगी। तब से यह स्थान “हनुमानधारा” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
हनुमानधारा न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी एक अद्भुत स्थान है। यहां बहने वाला जल “बाण गंगा” आज भी एक रहस्य है। पानी पहाड़ की ऊंचाई से एक पतली धारा के रूप में गिरता है और फिर अदृश्य हो जाता है। वैज्ञानिक वर्षों से इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह पानी कहां से आता है और कहां विलुप्त हो जाता है। लेकिन आज तक इसका रहस्य अनसुलझा है।
1 जनवरी की सुबह ठंडी हवाओं और घने कोहरे के बीच श्रद्धालु बड़ी संख्या में हनुमानधारा पहुंचे। भक्तों ने यहां पवित्र बाण गंगा में स्नान कर अपने नए साल की शुरुआत की। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया।
श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आकर उन्हें एक दिव्य शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है। यहां की शीतल धारा और वातावरण उन्हें तनाव और थकान से मुक्त कर देता है।
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे। पुलिस और स्वयंसेवकों ने मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित की। साथ ही, स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया गया।
हनुमानधारा का यह अनोखा स्थान, जहां आस्था और विज्ञान का मेल होता है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। नए साल की शुरुआत पर यहां उमड़ी भीड़ यह दर्शाती है कि चाहे कितनी भी ठंड हो, आस्था और भक्ति की गर्माहट हमेशा दिलों को जोड़ने का काम करती है।
हनुमानधारा सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास की वह धरोहर है, जो युगों-युगों तक श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।