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जिला अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने से चार साल के बच्ची की मौत



Report By : Sanjay Sahu, Chitrakoot

चित्रकूट, देश के आकांक्षी जनपदों में शुमार चित्रकूट जिला कागजों में भले ही ठीक- ठाक चल रहा हो, लेकिन आज भी यहां की स्वास्थ्य अब्यवस्थाये दम तोड़ती नज़र आती हैं। ऐसा कोई महीना नही जब ऐसे आरोप जिला अस्पताल और उनके सरकारी मोटी तनख्वाह पाने वाले मुलाजिमों पर न लगते हों। जिस जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर सूबे के डिप्टी सीएम व कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक और मौजूदा जिला प्रभारी मंत्री नरेन्द्र कश्यप संतुष्टि जता चुके हैं, लेकिन वहां अव्यवस्थाएं और तीमारदारों की दिक्कतें लगातार जारी हैं। शुक्रवार को यहां एक बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के परिजनों का आरोप है कि चिकित्सक ने ठीक से इलाज किए बिना बच्ची को रिफर कर दिया। सिलेंडर से आक्सीजन न खोलने से उसका बदन नीला पड़ गया और सांसें थम गईं। हालांकि प्रभारी चिकित्साधीक्षक ने आरोपों से इंकार किया है।



कर्वी कोतवाली के अंतर्गत साईंपुर माफी गांव निवासी उस्मान अली ने बताया कि वह अपनी नातिन अल्फिया पुत्री कमर अली को लेकर शुक्रवार सुबह 6 बजे जिला अस्पताल आए थे। लगभग चार साल की बच्ची को बुखार था। बताया कि इसके पहले वे लोग अल्फिया को लेकर पहाड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए थे पर वहां कोई इलाज न कर बच्ची को जिला अस्पताल रिफर किया गया था। यहां रात में ड्यूटी करने वाले चिकित्सक बच्ची को बिना देखे घर चले गए। उस्मान का आरोप है कि सुबह ड्यूटी पर आई चिकित्सिका ने बच्ची को बिना देखे उसे बाहर ले जाने को कहा। उस्मान का कहना है कि डाक्टर ने उन लोगों के साथ अभद्रता की और पूछा बच्ची को क्या बीमारी है। उन लोगों के यह कहने पर कि उसे बुखार है और बाकी आप जांच करिए, डाक्टर ने उन लोगों से अभद्रता की और रिफर करने की बात कही। इस पर वे लोग एंबुलेंस की व्यवस्था में लगे थे। इस दौरान सिलेंडर से आक्सीजन की आपूर्ति नहीं की गई। उस्मान ने आरोप लगाया कि इससे कुछ ही देर में बच्ची का बदन नीला पड़ गया और उसकी सांसें थम गईं। उसका कहना है कि अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही से उसकी नातिन की जान गई है। इस संबंध में उसने कोतवाली में तहरीर देने की भी बात कही है।

बच्ची पहले से ही थी सीरियस

उधर, प्रभारी सीएमएस डा. आरबी लाल ने बताया कि बच्ची जब अस्पताल आई थी तो उसकी हालत गंभीर थी। बाल रोग विशेषज्ञ ने बच्ची को देखा था और उसकी हालत गंभीर बताई थी। उसे कहीं अन्यंत्र ले जाने की सलाह भी दी गई थी। उन्होंने बताया कि आक्सीजन सिलेंडर न खोलने या नली निकालने की बात गलत है। प्लांट से कई बार आक्सीजन आने में उसका प्रेशर कम हो जाता है। ऐसे में उससे निकालकर सिलेंडर से आक्सीजन लगाई गई थी। उन्होंने कहा कि परिजनों के आरोप गलत हैं।



बच्ची की मां ने दी तहरीर

इस संबंध में बच्ची की मां रुक्साना बानो ने कोतवाली में तहरीर देकर चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार की है। उसका कहना है कि आक्सीजन सिलेंडर न खोलने की वजह से उसकी बच्ची की जान गई है।