Friday , April 26 2024
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प्रसूताओं की जान से खिलवाड़ लापरवाह जिला अस्पताल !




Report : Sanjay Sahu

चित्रकूट : जिला अस्पताल में शुक्रवार को प्रसूता की मौत के बाद भी जिला अस्पताल में लापरवाही कि एक और भयावह तस्वीर सामने आई रविवार को भी प्रसूताओं की जिंदगी से खिलवाड़ किया गया। बिना डॉक्टर की मौजूदगी के चार प्रसव कराए गए। इनमें से दो ही हालत बिगड़ने पर उन्हें प्रयागराज मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।


एक दिन पहले बिना डॉक्टर की मौजूदगी के प्रसव के बाद हालत बिगड़ने पर प्रसूता रोशनी मिश्रा की जान जा चुकी है। जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जांच, उनके इलाज व प्रसव के लिए कोई चिकित्सक नहीं है। लंबे समय से नर्स और आया प्रसव करा रही हैं। हालत बिगड़ने पर निजी अस्पतालों या फिर प्रयागराज मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है।


रेफर होने पर दो, तीन घंटे से पहले नहीं मिलता इलाज
जिला अस्पताल में प्रसूता की हालत बिगड़ने पर बांदा या फिर प्रयागराज मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। बांदा 75 किलोमीटर दूर और प्रयागराज 120 किलोमीटर। बांदा पहुंचने में कम से कम दो घंटे और प्रयागराज पहुंचने में तीन घंटे का औसत समय लगता है। गंभीर हालत में रेफर प्रसूता इतने समय तक तड़पती रहती है। इस दौरान जान जाने की आशंका बनी रहती है।

जिला अस्पताल में भर्ती बल्दाऊगंज निवासी रोशनी मिश्रा (25) का शुक्रवार रात तीन बजे स्टाफ नर्स और आया ने प्रसव कराया। बच्ची का जन्म हुआ। उसके बाद प्रसूता की हालत बिगड़ गई। अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रफीक अंसारी मौजूद नहीं थे। उन्हें घर जाकर बुलाया गया। मगर उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। आखिरकार कुछ ही देर में रोशनी की तड़प कर मौत हो गई। बताते हैं कि अधिक रक्तस्राव व बच्चेदानी बाहर आने से हालत बिगड़ी। डॉक्टरों का कहना है कि प्रसव के समय कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ होता तो उसे बचाया जा सकता था।


रोशनी की मौत के बाद उसकी बेटी रविवार सुबह तक ठीक रही, लेकिन बाद में तबियत बिगड़ गई। उसे जिला अस्पताल भर्ती करवाया गया था ,अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती के लिए सीएमओ को पत्र लिखा है। मानिकपुर व मऊ में तैनात महिला चिकित्सक को विकल्प के रूप में ही जिला अस्पताल में सप्ताह में तीन चार दिन के लिए डयूटी लगाई जा सकती है। घटना के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. रफीक अंसारी अवकाश पर चले गए हैं। जब तक स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होती, स्टाफ नर्स के सहारे प्रसव कराए जा रहे हैं। डा. रफीक दस दिन के अवकाश पर चले गए हैं। डा. राजेश खरे, सीएमएस बिना स्त्री रोग विशेषज्ञ के प्रसव मामले और डा. रफीक अंसारी के न आने के मामले की जांच के लिए तीन डाक्टरों की कमेटी बनाई है। जिला अस्पताल में प्रसूति रोग विशेषज्ञ महिला डाक्टरों की तैनाती के प्रयास किए जा रहे हैं।

डा. अंसारी और पीड़ी चौधरी को लेकर कई बार विवाद सामने आ चुके हैं। शहर के ही एक प्राइवेट हास्पिटल में पिछले साल इसी प्रकार 25 वर्षीय टीचर दीपिका कुशवाहा प्रसूता मौत होने के बाद भी इन दोनों का नाम चर्चा में आया था लेकिन पता नही एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक मामले में क्या हुवा कोई जानकारी नही हो पाई यही नही अगर उस समय कार्यवाही होती तो शायद जिला अस्पताल में ऐसी बड़ी घटनाएं न हो पाती।


रोशनी मिश्रा के प्रसव के बाद मौत पर परिजनों ने अगली सुबह डॉ. रफीक को दौड़ा लिया था। उनकी कार के शीशे तोड़ दिए गए थे। अस्पताल में काफी बवाल हुआ और हंगामा हुवा था इसके बाद लापरवाही पर कोतवाली में डॉ. रफीक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी है। उधर एक दिन बीत जाने के बाद जिला अस्पताल में बिना डॉक्टर की मौजूदगी के ही प्रसव होते थे यह तथ्य निकलकर सामने आए हैं उधर इस मामले में पुलिस ने जांच टीम गठित कर दी है।