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गाजीपुर: अमन सर्जिकल हॉस्पिटल में सिजेरियन के बाद गर्भवती महिला की मौत, गांव में पसरा मातम


गाजीपुर: गाजीपुर जिले में एक और हृदयविदारक घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। अमन सर्जिकल हॉस्पिटल में एक गर्भवती महिला की सिजेरियन ऑपरेशन के बाद मौत हो गई। इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि परिवार के लिए एक गहरे शोक की स्थिति पैदा कर दी है।

यह घटना जिले में पिछले 15 दिनों के भीतर दूसरी ऐसी मौत है। इससे पहले शिव सर्जिकल हॉस्पिटल में एक गर्भवती महिला की मौत हो चुकी है। अब अमन सर्जिकल हॉस्पिटल में हुई इस घटना ने निजी अस्पतालों की लापरवाही और चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मृतक महिला के परिजनों ने बताया कि गर्भवती महिला को खून की कमी थी, इसके बावजूद डॉक्टरों ने सिजेरियन करने का फैसला किया। ऑपरेशन के दौरान स्थिति बिगड़ गई, लेकिन डॉक्टरों ने समय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। हालत बिगड़ने पर महिला को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।

इस घटना में नवजात शिशु की जान तो बच गई, लेकिन उसकी मां को खोने का दर्द परिवार के लिए असहनीय है। दूधमुंहा बच्चा अब अपनी मां के बिना अनाथ हो गया है। परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर सही समय पर ध्यान देते और बेहतर इलाज करते, तो यह घटना टाली जा सकती थी।

महिला की मौत के बाद से उसके गांव में मातम का माहौल है। हर कोई इस घटना से स्तब्ध है और परिवार के दर्द को महसूस कर रहा है। गांव के लोग स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से इस मामले की जांच और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस घटना ने गाजीपुर के निजी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आए दिन सामने आने वाली ऐसी घटनाएं बताती हैं कि कुछ निजी अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

परिजनों और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं और इस पर रोक लगनी चाहिए।

यह घटना न केवल गाजीपुर बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और डॉक्टरों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अब अनिवार्य हो गया है। यह मामला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ा सबक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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