श्याम देव प्रजापति का निधन: बिरहा गायक और पूर्व जिला पंचायत सदस्य को दी गई श्रद्धांजलि
Report By:आसिफ अंसारी
वाराणसी : प्रसिद्ध बिरहा गायक एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्याम देव प्रजापति का आज वाराणसी के एक निजी अस्पताल में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनके निधन से संगीत और राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
श्याम देव प्रजापति: एक बहुआयामी व्यक्तित्व
श्याम देव प्रजापति न केवल लोकगायन में प्रसिद्ध थे बल्कि 2010 से 2015 तक सदात प्रथम से जिला पंचायत सदस्य के रूप में भी सक्रिय राजनीति में रहे। उन्होंने समाजवादी पार्टी से जुड़कर जनता की सेवा की और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहे।
अंतिम विदाई: पार्टी के झंडे में दी गई श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर मिलते ही समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और समर्थक बड़ी संख्या में उनके आवास पर पहुंचे। श्याम देव प्रजापति के पार्थिव शरीर को समाजवादी पार्टी के झंडे में लपेटकर अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान कई गणमान्य नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से—
अब्दुल वाजिद अंसारी (प्रदेश सचिव, समाजवादी पार्टी)
पूर्व विधायक त्रिवेणी राम
राजू (विधानसभा अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी)
हिसामुद्दीन (विधानसभा सचिव)
उपेंद्र कुशवाहा (ब्लॉक अध्यक्ष)
सभी नेताओं ने श्याम देव प्रजापति के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि “उनका जाना लोकगायन और राजनीति दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है।”
बिरहा संगीत में श्याम देव प्रजापति का योगदान
श्याम देव प्रजापति ने बिरहा गायकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके गीतों में समाज की सच्चाई, किसानों की समस्याएं और गरीबों के संघर्ष की झलक मिलती थी। वे आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे और अपनी गायकी से हर दिल को छू जाते थे।
शोक की लहर, श्रद्धांजलि देने उमड़ी भीड़
उनके निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक, स्थानीय निवासी और पार्टी कार्यकर्ता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोगों ने भाग लिया और नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
समाजवादी पार्टी ने जताया शोक
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने श्याम देव प्रजापति को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे हमेशा गरीबों और शोषितों की आवाज बने रहे। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
“श्याम देव प्रजापति का जाना संगीत और राजनीति दोनों के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनके विचार और उनके गीत सदैव जीवित रहेंगे।”