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सपा विधायक के आत्म-सम्मान की लड़ाई ने पार्टी में बढ़ाया अंतर्कलह, चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है असर

समाजवादी पार्टी के सदर विधायक अनिल प्रधान का सम्मान को लेकर पदाधिकारियों से हुआ विवाद, पार्टी के अंदरूनी विवादों ने सतह पर ली अंगड़ाई।


समाजवादी पार्टी की जिला इकाई में गुरुवार को उस समय भारी हलचल मच गई जब पार्टी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान सदर विधायक अनिल प्रधान और पार्टी के पदाधिकारियों के बीच सम्मान को लेकर विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि पार्टी के भीतर की दरारें अब सार्वजनिक हो चुकी हैं, और विपक्ष ने भी इस विवाद को मुद्दा बनाने का अवसर नहीं छोड़ा है।

गुरुवार को पार्टी कार्यालय में एक बैठक बुलाई गई थी, जिसका उद्देश्य विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा करना था। बैठक के बीच अचानक सदर विधायक अनिल प्रधान वहां पहुंचे। उपस्थित कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया, लेकिन यह स्वागत सम्मानजनक नहीं था। जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव और कुछ वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर अन्य पदाधिकारियों ने विधायक के सम्मान में खड़े होकर उनका स्वागत किया, जबकि कुछ ने ऐसा नहीं किया।

विधायक के समर्थकों का कहना है कि इस व्यवहार से अनिल प्रधान नाराज हो गए और सीधे जाकर एक कोने में बैठ गए। उन्हें लगा कि उनका पद के अनुसार उचित सम्मान नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव से इस मामले में शिकायत की।

विधायक की शिकायत पर पार्टी के जिला महासचिव सत्यनारायण पटेल ने सवाल किया कि उन्हें किस तरह का सम्मान चाहिए। विधायक के समर्थकों का दावा है कि महासचिव ने इस सवाल को बहुत ही अशोभनीय भाषा में किया, जिससे विधायक अनिल प्रधान नाराज हो गए। गुस्से में आकर विधायक ने भी कुछ कह दिया, और मामला तूल पकड़ता चला गया। इसके बाद विधायक प्रधान वहां से नाराज होकर चले गए।

विधायक के समर्थकों का मानना है कि पार्टी में कुछ वरिष्ठ नेता अनिल प्रधान की कम उम्र में विधायक बनने को लेकर सहज नहीं हैं। उनका आरोप है कि यह पहली बार नहीं है जब विधायक को अपमानित किया गया हो। समय-समय पर उन्हें बेइज्जती का सामना करना पड़ता है, और यह विवाद भी उसी का परिणाम है। समर्थकों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ करते हैं और उनका अपमान करते रहते हैं।

हालांकि, इस पूरे मामले पर खुद विधायक अनिल प्रधान ने कोई स्पष्ट टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर तभी बोलेंगे जब राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उनसे पूछेंगे। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह इस मामले को लेकर किसी और के सामने कोई बयान नहीं देंगे, बल्कि सिर्फ राष्ट्रीय नेतृत्व को ही अपना पक्ष बताएंगे।

इस बीच, जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव ने भी मीडिया से बात करते हुए इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है और इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के सभी सदस्य एकजुट हैं और किसी भी तरह की ग़लतफहमी को दूर किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि विधायक के साथ कोई अपमानजनक व्यवहार किया गया था।

यह ताजा विवाद समाजवादी पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है, खासकर तब जब पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। पार्टी के अंदर इस तरह की कलह से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है और इसका सीधा असर पार्टी के चुनावी नतीजों पर भी पड़ सकता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व समय रहते इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह विवाद बड़े स्तर पर पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह मुद्दा न केवल पार्टी की एकता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति भी कमजोर कर सकता है।

अंतर्कलह चाहे कितनी भी छोटी हो, लेकिन जब पार्टी के भीतर का विवाद सार्वजनिक हो जाता है, तो इसका असर दूरगामी हो सकता है। आने वाले दिनों में इस मामले पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का रुख महत्वपूर्ण होगा। यदि यह विवाद सुलझा नहीं गया, तो पार्टी को अपने भीतर की असहमति का सामना चुनावी नतीजों के रूप में भुगतना पड़ सकता है।

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