कृषि विश्वविद्यालय के सात वर्षों की मेहनत से तैयार हुई ब्लूबेरी, कैंसर से लड़ने और याददाश्त बढ़ाने में साबित हो रही फायदेमंद

Report By: स्पेशल डेस्क

हिमाचल प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय (CSK हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर) के वैज्ञानिकों ने सात वर्षों की कठिन रिसर्च के बाद एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय की टीम ने राज्य की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल ब्लूबेरी की उन्नत किस्में तैयार की हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से अत्यंत लाभकारी मानी जा रही हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह ब्लूबेरी न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से लड़ने में कारगर है, बल्कि यह याददाश्त को तेज करने में भी सहायक है।

7 साल की लंबी रिसर्च और मेहनत
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने साल 2017 में ब्लूबेरी की रिसर्च पर काम शुरू किया था। इस दौरान अमेरिका और यूरोप से लाई गई विभिन्न किस्मों का हिमाचल की जलवायु में परीक्षण किया गया। पालमपुर, काँगड़ा, मंडी और शिमला जिलों की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन किस्मों को लगाया गया, ताकि यह समझा जा सके कि कौन-सी किस्में यहां की परिस्थितियों में पनप सकती हैं।

डॉ. रमेश ठाकुर, जो इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक रहे हैं, बताते हैं:
“ब्लूबेरी की पौधों को हिमाचल की ठंडी जलवायु में ढालने के लिए विशेष तकनीक अपनाई गई। इसके लिए हमने मिट्टी की अम्लता, जल निकासी और तापमान के स्तर पर कई परीक्षण किए। आखिरकार हम तीन किस्मों को विकसित करने में सफल रहे जो स्थानीय किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होंगी।”

स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी
ब्लूबेरी को ‘सुपरफूड’ कहा जाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लैवोनॉइड्स कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने और याददाश्त सुधारने में सहायक मानी जाती है।

डॉ. सुषमा नेगी, जो पौध पोषण विशेषज्ञ हैं, कहती हैं:
“ब्लूबेरी में पाए जाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स शरीर में सूजन को कम करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करते हैं। यह विशेष रूप से बुजुर्गों और विद्यार्थियों के लिए बेहद फायदेमंद है।”

किसानों के लिए सुनहरा अवसर
इस नई खोज से हिमाचल के किसानों को एक नई राह मिल सकती है। चाय और सेब के अलावा अब ब्लूबेरी को भी नगदी फसल के रूप में अपनाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक एकड़ में ब्लूबेरी की खेती से सालाना तीन से चार लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है।

सरकार भी इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए तैयार दिख रही है। राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार,
“हम ब्लूबेरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और सब्सिडी योजनाओं की योजना बना रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इससे लाभान्वित हो सकें।”

अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपार संभावनाएं
ब्लूबेरी की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में। हिमाचल की ऊंचाई वाली ठंडी जलवायु इसे एक आदर्श उत्पादक क्षेत्र बना सकती है। यदि सरकार और किसान मिलकर प्रयास करें, तो यह फल हिमाचल के लिए कृषि-निर्यात के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

 

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