उत्तराखंड में तीन बच्चों वाले अभ्यर्थी भी लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, पंचायत राज अधिनियम में हुआ बड़ा संशोधन

उत्तराखंड डेस्क
देहरादून: उत्तराखंड की पंचायत राजनीति में एक बड़ी और महत्वपूर्ण बदलाव की खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों को लेकर बने नियमों में संशोधन करते हुए अब तीन बच्चों वाले अभ्यर्थियों को भी चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है। इससे पहले केवल दो बच्चों तक के अभ्यर्थियों को ही पंचायत चुनाव लड़ने की पात्रता प्राप्त थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर तीन कर दी गई है। इस संशोधन से हजारों लोगों को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलेगा और लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी।
क्या था पुराना नियम?
उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम के अनुसार अब तक वही अभ्यर्थी पंचायत चुनाव लड़ सकते थे जिनके दो या उससे कम बच्चे हों। यह नियम जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया गया था। हालांकि, इस नियम के चलते कई योग्य उम्मीदवार पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पाते थे, जिससे कई बार स्थानीय स्तर पर नेतृत्व की गुणवत्ता प्रभावित होती थी।
नया संशोधन क्या कहता है?
उत्तराखंड सरकार ने इस पुराने नियम में संशोधन करते हुए अब तीन बच्चों तक के अभ्यर्थियों को पंचायत चुनाव में खड़े होने की अनुमति दे दी है। इसके लिए पंचायती राज अधिनियम 2016 में जरूरी संशोधन किया गया है। यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया और अब इसे अधिसूचना जारी कर लागू किया जाएगा।
फैसले के पीछे की सोच
राज्य सरकार के अनुसार, यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक संरचना और वहां के पारिवारिक स्वरूप को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। कई बार ग्रामीण परिवारों में बच्चों की संख्या अधिक होती है, जिससे प्रतिभाशाली उम्मीदवार चुनाव लड़ने से वंचित रह जाते हैं। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से ग्रामीण जनता को अपने पसंदीदा और योग्य प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिलेगा।
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
इस फैसले पर राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जबकि कुछ का कहना है कि इससे जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को झटका लग सकता है। विपक्षी दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है और सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि परिवार नियोजन के प्रयास जारी रहें।
पंचायत चुनाव में बढ़ेगा उत्साह
इस संशोधन के बाद पंचायत चुनाव में नए चेहरों की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह फैसला युवाओं और महिलाओं को भी प्रेरित करेगा कि वे आगे आकर अपने गांव के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं।
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय पंचायत स्तर पर लोकतंत्र को और सशक्त बनाने वाला कदम माना जा रहा है। इससे न केवल ग्रामीण नेतृत्व को नया अवसर मिलेगा बल्कि लोकतांत्रिक भागीदारी भी बढ़ेगी। अब देखना होगा कि आने वाले पंचायत चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है।